पंचांग दर्शन (विक्रमी संवत)

Panchang darshan -

पंचांग दर्शन ( विक्रमी संवत )

पंचांग दर्शन ( विक्रमी संवत )

सनातन संस्कृति कि परंपरा एक वैज्ञानिक आधार पर आधारित है और पंचांग इस संस्कृति का साक्षी है। इस संस्कृति के साथ पंचांग देखने की परंपरा साथ-साथ विकसित हुई है क्योंकि पंचांग हमारे अस्तित्व को ब्रह्मांड का साक्षी बनाकर हमें इस ब्रह्मांड के दर्शन करवाता है पंचांग में इस समक्ष ब्रह्मांड में घूम रहे ग्रहण ग्रहण तथा उल्का पिंड और हमारे सौरमंडल में घटने वाली घटनाएं जैसे चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण आदि घटनाओं का विवरण हमें प्रदान करता है और इस आधार पर हमारी परंपराएं एवं त्योहार मनाए जाते हैं और इसी आधार पर हमारी संस्कृति में शुद्ध जीवन शैली का प्रवाह बना रहता है।


पंचांग हमारा साक्षात्कार इस ब्रह्मांड से करवाता है इसमें बनने वाली ग्रह और नक्षत्र से बनने वाले प्रभावशाली समय का परिचय देता है और इनको पहचान कर हमारे पूर्वजों ने इन्हें विशेष त्योहारों के रूप में मनाना शुरू किया था।

पंचांग का अनुसरण हमें जीवन को समय के अनुसार जीना सिखाता है तथा भुगोलीय बदलावो के अनुसार रहन-सहन विकसित करता है। समय कि गणना ही इतिहास को संजोकर रखतीं।

सनातन संस्कृति कि परंपरा एक वैज्ञानिक आधार पर आधारित है और पंचांग इस संस्कृति तथा इससे जुड़े हमारे अस्तित्व को ब्रह्मांड का साक्षी बनाकर हमें सद्बुद्धि प्रदान करती हैं।

आपकी सुविधा के लिए पंचांग से संबंधित सभी तरह कि जानकारियां यहां उपलब्ध करवाने कि कोशिश कि है आप इसका लाभ उठाएं।