वैदिक मुहूर्त दर्शन।

वैदिक मुहूर्त दर्शन ज्योतिष शास्त्र कि एक समय का आकलन करने वाली प्रणाली है जिसके अंतर्गत कार्य करते समय उचित समय को सुनिश्चित किया जाता है।

मुहूर्त दर्शन समय को निर्धारित करने वाली वह प्रणाली है जिसका प्रयोग प्राचीन काल से समय को ज्ञात करने के लिए भी किया जाता रहा है।

मुहूर्त दर्शन शुभ मार्ग है सफल एवं सार्थक परिणाम हेतु जो एक समय की सार्थक गणितीय गणना है। मानव सृजन में अद्वितीय सृजन है गणितीय सिद्धांत। इस प्रणाली के अनुसार समय को परिभाषित किया जाता है। गोचर के अनुसार निर्मित ग्रहों की स्थिति ही नये नये मुहूर्तो का निर्माण करती है।

इस प्रणाली के अंतर्गत व्यक्ति वर्तमान समय में ऊर्जा के अनुसार कार्य सिद्धि के लिए समय सुनिश्चित करता है। इस प्रणाली में गोचर स्थिति को मुख्य रूप से देखा जाता है, क्योंकि मनुष्य के समय का आकलन उसकी राशि से चंद्रमा की स्थिति के अनुसार ही किया जाता है।

चंद्रमा कि जैसी स्थिति गोचर में होती है वैसी ही प्रभाव राशि के अनुसार व्यक्तियो पर देखा जा सकता है।

किसी भी कार्य कि शुरुआत करने से पहले कार्य कि विशेषता को पहचान करके व्यक्ति कि वर्तमान ग्रह स्थिति के अनुसार निर्णय लिया जाता है। इस प्रणाली का  प्रचलन आदि काल से है हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा व्यक्ति के अनुसार समय कि पहचान तथा कार्य कि पूर्ति के लिए किया जाता रहा है।

किसी भी कार्य को करने के लिए कार्य की शुरुआत से पहले उचित समय का चुनाव ही मुहूर्त कहलाता है।

इसके लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने मुहूर्त से जुड़े अन्य ग्रंथों का निर्माण किया हुआ है। इस संसार में प्रत्येक कार्य कि अपनी एक अलग ऊर्जा होती है और एक ऊर्जा मय आवरण होता है और प्रत्येक क्षण का अपना अलग ही महत्व होता है।

कार्य कि शुरुआत में अलग-अलग ऊर्जा का प्रभाव होता है। हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा समय कि पहचान करके उनको नाम दिये गये है। 

किसी कार्य के ऊर्जा मय आवरण से हमारी ओरा का तालमेल जितना साकारात्मक प्रभावों में होता है कार्य उतना ही परिणामों के साथ पुरा होता है। कार्य कि ऊर्जा तथा कार्य को करने वाले व्यक्ति कि ओरा कि पहचान मुहुर्त देखने कि प्रक्रिया के अंतर्गत कि जाती है। दोनों का तालमेल देखकर ही कार्य को करने कि शुरुआत का समय सुनिश्चित किया जाता है।

प्राचीन समय से चली आ रही हमारी समय गणना पर आधारित है। समय का चुनाव स्थिति के अनुसार होता है। जब भी किसी कार्य की शुरुआत होती है तो मनुष्य का नाम राशि के अनुसार, चंद्रमा की स्थिति के अनुसार शुभ संकेत का आह्वान किया जाता है।

सूर्य और चंद्रमा का  नक्षत्रों  में भ्रमण से बनने वाले विशेष योगो के अंतर्गत समय के साथ अलग-अलग प्रकार के योगों का निर्माण होता है। अलग-अलग अवस्थाओं के अनुसार अलग-अलग प्रभावों का निर्माण होता है। इसी कारण ब्रह्मांड में ऊर्जाओं का प्रभाव  अलग-अलग होता है।

 इस दुनिया में हर जीव की अपनी अलग पहचान होती है। जिसका निर्माण उसके विचार और उसके स्वभाव के अनुसार ही होता है। उसकी क्षमता उसके कर्मों के आधार पर बनी रहती है और इसी ओरा के प्रभाव में एक व्यक्ति की क्षमता में भी वृद्धि और गिरावट होती रहती है और ज्योतिष शास्त्र के द्वारा उसकी क्षमता का पता लगाया जा सकता है और इसी आधार पर उसके  सुलभ समय का चयन किया जाता है। कार्य की शुरुआत से पहले गणेश दर्शन इसी प्रणाली के अनुसार किया जाता है। 

हमारी सनातन संस्कृति में मुहूर्त दर्शन का विशेष महत्व है। मानव जीवन में   संस्कारों का विशेष महत्व है, इसके अलावा जीवन में वह व्यक्ति जो कोई भी नया कार्य प्रारंभ करता है तब वह चंद्रमा कि स्थिति के नक्षत्रों का चुनाव करता है। इन्हीं स्थितियों के अनुसार बनने वाले सभी महत्वपूर्ण मुहूर्तों के बारे में बताया गया है।

मुहूर्त दर्शन में अंकित सभी मुहूर्त वैदिक प्रणाली के अंतर्गत है, इनका प्रयोग करके आप भी अपने जीवन में लाभान्वित हो सकते हैं ।

अगर आप भी किसी विषय पर मुहूर्त देखना चाहते हैं तो यात्रा करें।

  1. गर्भधारण संस्कार मुहूर्त ।
  2. पुंसवन संस्कार मुहूर्त।
  3. सीमन्तोन्नयन संस्कार मुहुर्त।
  4. जात कर्म संस्कार मुहूर्त।
  5. नामकरण संस्कार मुहूर्त
  6. पालने में सुलाने का मुहूर्त।
  7. अन्न प्राशन संस्कार मुहूर्त
  8. निष्क्रमण संस्कार मुहूर्त।
  9. चौल-कर्म संस्कार मुहूर्त
  10. कर्णवेध संस्कार मुहूर्त।
  11. उपनयन संस्कार मुहूर्त।
  12. विद्या ग्रहण संस्कार मुहूर्त।
  13. संमावर्तन संस्कार मुहूर्त।
  14. विवाह संस्कार मुहूर्त।
  15. अवस्थाधान व श्रोता ध्यान संस्कार मुहूर्त।
  16. वानप्रस्थ संस्कार मुहूर्त।
  17. अंतिम संस्कार मुहूर्त।
  18. रजो दर्शन मुहूर्त।
  19. साधारण यात्रा मुहूर्त।
  20. सिद्ध यात्रा मुहूर्त ।
  21. तीर्थयात्रा मुहूर्त।
  22. नया अनाज ग्रहण करने का मुहूर्त।
  23. नये अनाज को खरीदने का मुहूर्त।
  24. पशु खरीद मुहूर्त एवं पशु श्रृंगार मुहूर्त ।
  25. बाल कटवाने का मुहूर्त।
  26. वाहन खरीदने का मुहूर्त।
  27. तेल मालिश का मुहूर्त ।
  28. नये वस्त्र तथा आभूषण धारण मुहूर्त ।
  29. नए आभूषण बनवाने का मुहूर्त ।
  30. नए वस्त्र बनाने का मुहूर्त।
  31. नए बर्तन खरीदने का मुहूर्त।
  32. व्यसन वर्जित मुहूर्त ।
  33. सामान्य कर्म के लिए।
  34. शांति पाठ एवं भजन कीर्तन करवाने का मुहूर्त।
  35. धन संग्रह मुहूर्त।
  36. शपथ ग्रहण मुहूर्त।
  37. हवन-यज्ञ करवाने का मुहूर्त ।
  38. बच्चा गोद लेने का मुहूर्त।
  39. वस्त्र व आभूषण धुलाई मुहूर्त।
  40. गंधर्व विवाह मुहूर्त।
  41. लड़की रोकने लड़का रोकने का मुहूर्त।
  42. कर्ज चुकाने का मुहूर्त ।
  43. मंत्री,वकील, अधिकारी से मिलने का मुहूर्त।
  44. कृषि मुहूर्त— मेधी की लड़की बनाने का मुहूर्त।।
  45. कृषि मुहूर्त—-हल चलाने का मुहूर्त ।
  46. कृषि मुहूर्त—-बीज बौने का मुहूर्त।
  47. कृषि मुहूर्त—-बाग बगीचे लगाने का मुहूर्त ।
  48. कृषि मुहूर्त—-धान रोपने का मुहूर्त।
  49. कृषि मुहूर्त—–केला तथा ईख रोपण मुहूर्त।
  50. कृषि मुहूर्त—–पेड़ लगाने का मुहूर्त।
  51. कृषि मुहूर्त—— फसल कटाई मुहूर्त।
  52. कृषि मुहूर्त—— खलिहान मुहूर्त।
  53. कृषि मुहूर्त—— अनाज निकालने का मुहूर्त।
  54. कृषि मुहूर्त—— अनाज संग्रह मुहूर्त।
  55. कृषि मुहूर्त—– कोल्हू चलाने का मुहूर्त।
  56. कृषि मुहूर्त—- तिल धानी की शुरुआत मुहूर्त।
  57. कृषि मुहूर्त—— कृषि यंत्र खरीद मुहूर्त।
  58. वास्तु मुहूर्त। भुमिगत टंकी या कुंड बनाने का मुहूर्त।
  59. वास्तु मुहूर्त। भूमि अधिग्रहण या खरीद का मुहूर्त।
  60. वास्तु मुहूर्त। नव निर्माण भवन नींव मुहूर्त ।
  61. वास्तु मुहूर्त। नवनिर्मित भवन में छत डालने का मुहूर्त।
  62. वास्तु मुहूर्त। वस्तु पूजन मुहूर्त।
  63. वास्तु मुहूर्त। चूल्हा स्थापना मुहूर्त।
  64. वास्तु मुहूर्त। द्वार स्थापना मुहूर्त ।
  65. वास्तु मुहूर्त। ग्रह प्रवेश मुहूर्त ।
  66. वास्तु मुहूर्त। नव देवालय निर्माण मुहूर्त
  67. वास्तु मुहूर्त।—– मूर्ति कि प्राण-प्रतिष्ठा एवं स्थापना मुहूर्त ।
  68. वास्तु मुहूर्त। घर में रंगाई तथा टूट-फूट सुधार तथा सजावट मुहूर्त ।
  69. वास्तु मुहूर्त। कुआ-तालाब बनाने का मुहूर्त।
  70. नई दुकान खोलने का मुहूर्त।
  71. बैंक से लोन लेने का मुहूर्त।
  72. नई नौकरी शुरू करने का मुहूर्त।
  73. निजी सलाहकार तथा सेवक रखने का मुहूर्त।
  74. नौका बनाने का और पानी में उतारने का मुहूर्त।
  75. फैक्टरी ,थ्रेसर, क्रेशर, आटा मिल, मिक्सर प्लांट की शुरुआत मुहूर्त।
  76. कपड़े गहने की दुकान का मुहूर्त।
  77. व्यापार में संग्रह करने का मुहूर्त।
  78. सामग्री को बेचना, मंडी लगाने का मुहूर्त।
  79. ब्यूटी पार्लर तथा मसाज पार्लर खोलने का मुहूर्त।
  80. चिकित्सा मुहूर्त दांतों का क्लिनिक मुहूर्त
  81. चिकित्सा मुहूर्त, रोग मुक्ति स्नान मुहूर्त।
  82. चिकित्सा मुहूर्त ,औषधि निर्माण तथा ग्रहण मुहूर्त।
  83. योग, पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा का मुहूर्त।
  84. सफाई से संबंधित काम सीखने का मुहूर्त।
  85. शिल्प विद्या सीखने का मुहूर्त।
  86. नृत्य तथा संगीत शिक्षा ग्रहण का मुहूर्त।
  87. खेल क्रीड़ा विद्या को सीखने के अभ्यास का मुहूर्त।
  88. हथियार तीरंदाजी सीखने का मुहूर्त।
  89. वाहन चलाना सीखने का मुहूर्त।
  90. रसायन की शिक्षा एवं तंत्र की शिक्षा ग्रहण करने का मुहूर्त (engineering)
  91. संगीत यंत्र खरीद मुहूर्त।
  92. चुड़ा धारण करने का मुहूर्त।
  93. जलवा पुजन (कुआं) मुहूर्त।