नाम को व्यवस्थित करना।

इस संसार में जब मनुष्य के रूप में जीवन की शुरुआत हुई तब शुरुआत ज्ञान हुआ और एक दूसरे को पहचान कर उन्हें व्यवस्थित करने की प्रणाली दिमाग में जब काम करने लगी तो व्यक्ति ने एक दूसरे कि पहचान को स्थाई रूप देने के लिए नाम से पहचानने शुरूआत कि गई। व्यक्ति को नाम के द्वारा संबोधन करने कि शुरुआत हुई। व्यक्ति अपने नाम को एक दूसरे व्यक्ति के नाम के साथ जोड़ कर समुदाय में पहचान स्थापित करने लगा।

नाम रखने का प्रचलन हुआ तब व्यक्ति की सामुदायिक पहचान भी स्थापित होने लग गई थी। जब व्यक्ति की मुख्य पहचान उसकी जन्म तिथि के अनुसार चिन्हित होने लगी तभी से जन्म तिथि के अनुसार नाम का चयन किया जाने लगा।

नाम का विशेष महत्व होता है जीवन में।


नाम व्यक्ति के गुणों का परिचायक होता है। नाम व्यक्ति को मुख्य धारा के साथ जोड़ता है। नाम रखने कि प्रणाली पुरी तरह वैज्ञानिक हैं। ब्रह्मांड में ग्रहों कि स्थिति के अनुसार चंद्रमा के नक्षत्र में विचरण करते हुए समय स्थिति के अनुसार नाम का चयन किया जाता है । हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा यह व्यवस्था प्रथम काल से हि प्रचलन में है।


इस जीवन में आपकी पहचान आपके नाम के अनुसार ही प्रचलित रहती है। नाम का विशेष महत्व होता है । हमारे जीवन में हमारी जन्म दिनांक के अंको की ऊर्जा से हमारे नाम की ऊर्जा का सामंजस्य तालमेल बेहतरीन है तो जीवन व्यवस्थित है और नाम जन्म दिनांक की ऊर्जा के विपरीत है तो जीवन में समस्याएं बढ़ती है।
नाम बदलने कि प्रणाली प्राचीन काल से ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है। इसके अनुसार ही नाम को व्यवस्थित किया जाता है।

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