पृथ्वी की सोई हुई अवस्था में निर्माण या कोई भी प्रतिक्रिया करते हैं, तो वह परिणाम देने में भी सोई हुई रहती है। जिन घरों में या जिस जमीन पर निर्माण अधूरा रह जाता है, उसका यही कारण होता है।
बिना स्वभाव की जानकारी के ही रिश्ता जोड़ना दुखदायक परिणाम दायक होता है।
किसी के लिए भी यह गलत होता है जब वह सोया हुआ हो, तो उसकी स्वीकृति मानी जाए।
जब वह जागृत अवस्था में हो, तो तभी व्यक्ति कोई निर्णय ले सकता है।
जब भूमि तैयार है जागृत अवस्था में हो, तभी परिणाम शुभ फलदाई होती है।
सूर्य संक्रांति के दिन नक्षत्र से सूर्य नक्षत्र से दिन गिने।
५ ७ ९ १५ २१ २४ वें दिन धरती कि शयन अवस्था रहती है। इन दिनों में पृथ्वी को सोई हुई माना जाता है। वैज्ञानिक आधार पर है। मास की इस अवधि में धरती से निकलने वाले प्रभावों में अनुपात को देखा गया है। जब धरती सोई हुई हो तब वास्तु कर्म भुमि निर्माण कार्य निषेध है।