चोरी हुई वस्तु के बारे में पता करने कि विधी ।

चोरी हुई अथवा खोई हुई वस्तु या घर छोड़ कर गए अथवा गुम हुआ व्यक्ति के बारे में पता करने कि ज्योतिषीय तकनीक।किसके पास है और मिलेगी या नहीं। जानिए ज्योतिष की इस तकनीक से:-

जिस भी दिन आपकी वस्तु चोरी हुई या सामान गुम हुआ हो या व्यक्ति गया हो उस दिन के नक्षत्र के आधार पर गुम हुई वस्तु के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। गुम हुई वस्तु मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी? इस बात का पता भी नक्षत्रों के अनुसार चल जाता है।

आकाश में सभी 28 नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बांट दिया गया है। एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं। उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोंचन कहते है। इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है। उससे वस्तु मिल जाती है या उसके बारे में सही जानकारी मिल जाती है।


नक्षत्रों की प्रकृति।

अंध लोचन नक्षत्र :- रेवती,रोहिणी,पुष्य,उत्तराफाल्गुनी,विशाखा,पूर्वाषाढ़ा,धनिष्ठा आदि अंध लोचन नक्षत्र है। यदि वस्तु अंध लोचन वाले इन नक्षत्रों में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है।

मंद लोचन नक्षत्र :- अश्विनी, मृगशिरा,आश्लेषा,हस्त,अनुराधा,उत्तराषाढ़ा,शतभिषा आदि मंद लोचन नक्षत्र है। यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है।

मध्य लोचन नक्षत्र :- भरणी,आर्द्रा,मघा,चित्रा,ज्येष्ठा,अभिजित,पूर्वाभाद्रपद आदि मध्य लोचन नक्षत्र है। यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है। ढाई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है।

सुलोंचन नक्षत्र नक्षत्र :- कृतिका , पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र सुलोंचन नक्षत्र है। यदि वस्तु सुलोंचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो खबर ही मिलती है और ना ही वस्तु ही मिलती है।

प्रश्न लग्न कुंडली से चोरी हुई वस्तु के बारे में देखें।

सर्वप्रथम ध्यान रखें जब चोरी हुई वस्तु के बारे में सवाल किया जाए उसी समय लग्न कुंडली का निर्माण करें प्रश्न कुंडली बनायें । यदि लग्न में मेष या वृष राशि आती है तो वस्तु या व्यक्ति पूर्व दिशा में मिलता है।

यदि लग्न में मिथुन राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति अग्नि कोण में मिलता है। लग्न में कर्क राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति दक्षिण दिशा में मिलता है। यदि लग्न में सिंह राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति नैऋत् कोण में मिलता है। यदि लग्न में कन्या राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति उत्तर दिशा में मिलता है।

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यदि लग्न में तुला और वृश्चिक राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति पश्चिम दिशा में मिलता है। यदि लग्न में धनु राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति वायव्य कोण में मिलता है। यदि लग्न में मकर और कुम्भ राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति उत्तर दिशा में मिलता है। यदि लग्न में मीन राशि हो तो वस्तु या व्यक्ति ईशान कोण में मिलता है।

लग्न कुंडली से वर्ण कि पहचान।

लग्न कुंडली के प्रथम भाव में पड़ने वाली राशि से चोर के वर्ण का पता लगाया जा सकता है । यदि पहले भाव में मेष राशि हो तो चोरी करने वाला ब्राह्मण या सम्माननीय भद्र पुरुष होता है। यदि वृष राशि हो तो क्षत्रिय होता है । यदि मिथुन राशि हो तो वैश्य होता है। यदि कर्क राशि हो तो शुद्र या नौकर होता है।

यदि सिंह राशि हो तो अपना ही कोई व्यक्ति होता है। यदि कन्या राशि हो तो कुलीन स्त्री ,घर की बहू-बेटी या बहन होती है। यदि तुला राशि हो तो पुत्र , भाई या जमाता होता है। यदि वृश्चिक राशि हो तो अन्य नीची जाति का व्यक्ति होता है। यदि धनु राशि हो तो कोई साहसी महिला होती है। यदि मकर राशि हो तो वैश्य या व्यापारी होता है। यदि कुम्भ राशि हो तो चूहा ले ले जाता है। यदि मीन राशि हो तो वस्तु घर में ही कही रखी है परन्तु मिल नहीं रही।

यदि पहले भाव में अग्नि तत्व राशि ( मेष ,सिंह ,धनु) हो तो वस्तु घर के पूर्व में ,अग्नि -स्थान , रसोई घर में ही मिल जाती है। अग्नि स्थान से अभिप्राय है पूर्व-दक्षिण का क्षेत्र। यदि पहले भाव में पृथ्वी-तत्व राशि ( वृषभ ,कन्या ,मकर ) हो तो वस्तु दक्षिण दिशा में भूमि में दबी मिलेगी।

यदि पहले भाव में वायु-तत्व राशि ( मिथुन ,तुला कुम्भ ) हो तो वस्तु पश्चिम दिशा में हवा में लटकाई गयी है। या ऊपर कहीं छुपाई गई है। यदि पहले भाव में जल-तत्व राशि ( कर्क ,वृश्चिक ,कुम्भ ) हो तो वस्तु जलाशय के पास या उसके आस-पास या पानी वाली जगह के पास में उत्तर दिशा में मिलेगी।

चोरी हुई वस्तु मिलेगी या नही:- वस्तु गुम हुई है या व्यक्ति गुम हुआ है। वह मिलेगा या नहीं ? इसके लिए प्रश्न कुंडली में चंद्रमा की स्थिति देखी जाती है। यहां पर चंद्रमा को मालिक और सातवें भाव को चोर माना जाता है।

चौथे भाव को धन-प्राप्ति की जगह और पहले भाव को चोरी हुआ सामान माना जाता है। पहले भाव का स्वामी यदि सातवें भाव या उसके स्वामी के साथ हो तो कोशिश करने पर चोरी गया धन या गुम हुआ व्यक्ति मिल जाता है। यदि पहले भाव का स्वामी आठवें में हो तो चोर चोरी की गयी वस्तु लौटा देगा।

परन्तु ग्रह अस्त होगा तो चोरी का पता तो चलेगा लेकिन वस्तु नहीं मिलेगी। पहले भाव का स्वामी दसवें भाव के स्वामी के साथ हो तो चोर माल सहित पकड़ा जायेगा। यदि पहले भाव के स्वामी की दृष्टि दसवें भाव के स्वामी पर हो तो चोरी गयी वस्तु अवश्य मिलेगी।

यदि सातवें भाव का स्वामी सूर्य के साथ अस्त हो तो बहुत समय बाद चोर का तो पता चल जायेगा पर वस्तु नहीं मिलेगी। यदि पहले और सातवे भाव का स्वामी साथ में हो तो चोर जेल जाने के डर से खुद ही माल को वापस दे देता है। यदि सातवें भाव पर पहले भाव के स्वामी की दृष्टि ना पड़ रही हो तो ना चोर को फायदा होता है ना मालिक को , चोरी के माल को कोई बिचोलिया या तीसरा आदमी ही हड़प लेता है।

प्रश्न कुंडली में आठवां भाव चोर के धन रखने का स्थान होता है इसलिए अगर धन भाव का स्वामी आंठवे भाव में ही बैठा हो तो माल नहीं मिलेगा। और अगर धन भाव का स्वामी सप्तम में हो तो भी माल नहीं मिलता क्यूंकि “चंद्रास्वामी चोर सप्तम ” के अनुसार सप्तम भाव स्वयं चोर है।

दूसरे भाव का स्वामी यदि आठवें भाव के स्वामी के साथ हो तो धन मिल जाता है। यदि आंठवे और दसवें भाव के स्वामी साथ हो तो पुलिस या अन्य कोई सरकारी आदमी चोर से मिला हुआ होता है. चोरी का माल मिल बांट कर खा जाते है।

चोरी का माल कहां छुपाया गया है ।

यदि पहले और सातवे भाव का स्वामी आपस में स्थान परिवर्तन या दोनों एक ही भाव में हो तो वस्तु घर में ही कहीं छुपी या छुपाई गयी है। यदि चंद्रमा पहले भाव में हो तो वस्तु पूर्व दिशा में छुपाई गयी है। अगर सप्तम में हो तो वस्तु पश्चिम में छुपाई गयी है। चंद्रमा अगर दशम ने हो तो दक्षिण और चतुर्थ में हो तो वस्तु उत्तर दिशा में छुपाई गयी है।

चोर की शक्ति विचार।

यहां पर चोर की शक्ति का ज्ञान लग्न,सप्तम और दशम भाव के बल के अनुसार करना चाहिए।

यदि प्रश्न-कुंडली में सूर्य बलवान हो तो पिता या पिता की उम्र या पिता समान व्यक्ति ने चोरी की है। यदि चंद्रमा बली हो तो मां या माता के समान या माता की उम्र की महिला ने चोरी की है। यदि शुक्र बली हो तो किसी महिला ने चोरी की है। यदि गुरु बली हो तो घर के मालिक ने चोरी की है।

यदि शनि बलि हो तो पुत्र ने और मंगल बली हो तो भाई या सगा भतीजा चोर होता है। बुध बलवान हो तो मित्र या मित्र – सम्बन्धियों ने चोरी की है। चोर की आयु का विचार। पहले भाव में यदि शुक्र हो तो युवक सी उम्र होती है। पहले भाव में यदि बुध हो तो बालक सी उम्र होती है। पहले भाव में यदि गुरु हो तो वृद्ध सी उम्र होती है।

पहले भाव में यदि मंगल हो तो युवक सी उम्र होती है। पहले भाव में यदि शनि हो तो वृद्ध सी उम्र का व्यक्ति चोर होता है। लग्न और दशम भाव के मध्य सूर्य है तो चोर बालक है। दशम भाव और सप्तम भाव के मध्य सूर्य हो तो चोर युवक है। लग्न और चतुर्थ भाव के मध्य सूर्य हो तो चोर अत्यंत वृद्ध है।

यदि प्रश्न लग्न कुंडली में पहले भाव पर सूर्य-चन्द्र दोनों की दृष्टि पड़ रही हो तो वस्तु किसी घर के व्यक्ति ने ही चुराई है। और यदि पहले और सातवे भाव के स्वामी एक साथ लग्न में हो तो भी चोरी किसी घर के व्यक्ति ने ही की है।

यदि पहले भाव पर सूर्य या चन्द्र किसी एक ही की दृष्टि पड़ रही हो तो वस्तु किसी आस पास रहने वाले व्यक्ति ने चुराई है। यदि सातवें भाव का स्वामी बारहवें या तीसरे स्थान में हो तो घर के नौकर ने चोरी की है। यदि सातवें भाव का स्वामी अपनी राशि में या अपनी उच्च राशि में हो तो चोरी पेशेवर चोर ने की है।

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