शुक्र ग्रह हमारे शरीर मे सप्त धातुओं का कारक होता है। जो शरीर को जीवन भर सुंदर तथा पुष्ट रखतीं है।ओर इस संसार में सभी भौतिक सुखों का कारक भी शुक्र को हि माना गया है। दाम्पत्य जीवन में इन दोनो विषयों का बड़ा महत्व है। शुक्र की अवस्था के अनुसार ही शरीर में बल वीर्य, सन्तान उत्पत्ति का आंकलन किया जाता है।
जब किसी की जन्म-कुडंली में शुक्र उच अवस्था में होता हैं तो वह व्यक्ति अपने जीवन में भौतिक सुखों को भोगता है।लेकिन जिनकी जन्म-कुडंली मे शुक्र नीच अवस्था में हो वे व्यक्ति दामपत्य तथा भौतिक सुखों को ओरो से कम हि भोगते है। उनकी जीवनशैली में शुक्र को दुषित करने के ज्यादा कारण उत्पन्न होते है।
जब वह व्यक्ति कारणवश अपने चरित्र तथा शरीर को शुद्ध नही रख पाता ऐसी अवस्था में नीच शुक्र के फलों की प्राप्ति होती हैं। नीच शुक्र अवस्था के कारण मनुष्य में गलत आद्दतो का विस्तार होता हैं।
चरित्र हिनता, गलत खान पान के कारण शरीर में धातुओं का कमजोर होना। औरतों के साथ दुर्व्यवहार तथा गलत विचार रखना।अगर मनुष्य इन गलत आद्दतो से दुरी बनाय रखे तो नीच शुक्र भी गलत परिणाम नही देता क्योंकि संसार में एक नीयम सभी जगह लागू होता है ओर वह नीयम है कर्मों के अनुसार फल।
नीच का शुक्र आपके भाग्य को नही दर्शाता बल्कि नीच शुक्र के कारण गलत आद्दतो को दर्शाता है अगर उन आद्दतो को ना अपनाकर अच्छी आद्दतो का अनुसरण किया जाऐं तो जीवन में नीच शुक्र के फलों का आंकलन भी झूठ हो सकता है।
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