नव निर्माण के लिए नक्षत्र विचार:-

रोहिणी, मृगशिरा ,पुष्य उत्तराफाल्गुनी ,चित्रा, स्वाति ,अनुराधा, उत्तरषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तर-भाद्रपदा, रेवती नक्षत्र गृह निर्माण के लिए उत्तम बताये गये हैं।

अश्विनी ,रोहिणी ,मृगशिरा ,पुनर्वसु ,पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, हस्त ,चित्रा, अनुराधा, मूल, उत्तरषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तर भाद्रपद और रेवती इन नक्षत्रों को वास्तु पुजन तथा गृहनिर्माण के लिए भी शुभ बताया गया है।

नक्षत्र वार निर्मित योग विचार-

बृहस्पतिवार वार के दिन इन नक्षत्रों के होने पर शुभ योगों का निर्माण होता है।

पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तरषाढ़ा, उत्तर-भाद्रपदा,रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण, आश्लेषा, पुर्वाषाढ़ा।

तथा बृहस्पति ग्रह इन नक्षत्रों मे हो तो यह फल ओर भी शुभ फल दायी हो जाता हैं। ये योग समृद्धि तथा सामाजिक प्रतिष्ठा दायक हैं।

शुक्रवार के दिन विशाखा, अश्विनी, चित्रा, धनिष्ठा, शतभिषा, आर्द्रा नक्षत्र होने पर तथा शुक्र के इन नक्षत्रों मे होने पर शुभ फल दायी होता है।ये योग धन धान्य तथा ऐश्वर्य दायक है।

बुधवार के दिन तथा बुध के इन नक्षत्रों मे होने पर शुभ

फलदायी होता हैं।रोहिणी, अश्विनी, पूर्वाफाल्गुनी, चित्रा, हस्त।

ये योग पुत्र लाभ ,भवन सुख देने मे सक्षम है।

वैसे तो मंगलवार को नव निर्माण सर्वदा वर्जित है परंतु इन नक्षत्रो मे सर्वदा वर्जित करे। हस्त, पुष्य, रेवती ,मघा, पूर्वाषाढ़ा , मूल ।

इन नक्षत्रों का मंगलवार के दिन पड़ना तथा मंगल का इन नक्षत्रों में स्थित होने पर अशुभ योग का निर्माण होता हैं।

यह योग पुत्रों में कलेश को पैदा करता है तथा अग्नि भय देता है।

वास्तु शास्त्र परिचय।