जय सिया राम।।

नया घर या नई प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ध्यान दे।

घर के आसपास पेड़ होने चाहिए अगर पेड़ ना हो तो आपको जरूर लगाने चाहिए। घर बनाते समय मुख्य द्वार का विशेष महत्व होता है जैसे किसी भी व्यक्ति कि प्रमुख पहचान उसके चेहरे से कि जाती है वैसे ही किसी घर कि पहचान भी उसके चेहरे से अर्थात मुख्य द्वार से कि जाती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार सभी दिशाओं में घरके मुख्य द्वार हो सकते हैं।

वास्तु के अनुसार, किसी भी भवन के 32 संभावित प्रवेश द्वार हो सकते हैं। प्रत्येक दिशा में आठ प्रवेश द्वार होते हैं।और प्रत्येक द्वार का अपना एक विशेष प्रभाव होता है।

द्वार पद के प्रभाव घर में रहने वाले लोगों पर पड़ने वाले अच्छे या बुरे प्रभावों से जुड़ा हुआ है। जैसी प्रकृति प्रवेश द्वार कि होती है उसी के अनुसार घर में रहने वाले सदस्यों का स्वभाव बनता है तथा व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। निर्माण से संबंधित मुख्य द्वार कि आकृति अच्छी तरह विकसित होनी चाहिए घर का मुख्यद्वार दिखने में अच्छा होना चाहिये। दक्षिण-पश्चिम दिशा में द्वार उधार, गरीबी और रिश्तों में समस्याएं पैदा करता है।

यदि प्रवेश द्वार वास्तु के अनुकूल नहीं है तो आपको उस घर को खरीदने से बचना चाहिए अथवा उपचारीय पर को अपना कर अवरोध दूर करना चाहिए। घर में पंचतत्वों का संतुलन होना भी जरूरी है। इस पृथ्वी पर जीवन कि सुरुवात पंच तत्वों के सन्तुलित होने पर होती हैं जहां ये तत्व संतुलन में नही होते वहां जीवन कष्टमय होता हैं। पांच तत्व जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश।

आप जिस घर में रहते हैं वहां भी इनका संतुलन तथा व्यवस्थित होना जरूरी है। मुख्य तौर पर रशोई पूर्व-दक्षिण दिशा में। मुख्य सदस्य का निवास दक्षिण- पश्चिम में। उत्तर- पूर्व क्षेत्र ओर क्षेत्रों से हल्का होना चाहिए। बच्चों के लिए पूर्व दिशा में तथा अतिथि कक्ष उतर-पश्चिम क्षेत्र में।

आपके सोने का कमरा दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र मे ना हो इसका विशेष ध्यान रखें क्योंकि यह क्षेत्र जीवन का उत्साह तथा जीवन साथी के प्रति लगाव को कम करता है। घर में सोचालय उचित जगहों पर बनाना चाहिए। घर में सोचालय कि संख्या सीमित होनी चाहिए।

इसके बाद सोते समय सिर कि स्थिति पर भी ध्यान दें कमरो कि बनावट इस तरह से हो कि सोते समय सिर पूर्व या दक्षिण में होना चाहिए। घर में खुली हवा तथा सुर्य का प्रकाश आना चाहिए।

ताजी हवा स्वास्थ्य वर्धक होती है। मंदिर, रेलवे स्टेशन, शमशान घाट आदि से घर उचित दुरी पर होना चाहिए। घर के चारों कोण 90 डीग्री पर होने चाहिए। कोई भी कार्नर कटा हुआ ना हो। तथा दिवार टेढी मेढी ना हो।

वास्तु सलाह तथा वास्तु यात्रा के लिए संपर्क करें। यह सुविधा सशुल्क हैं।