सामान्य कर्म मुहूर्त का प्रयोजन है किसी सामान्य कार्य को करते समय विशेष मुहूर्त का प्रावधान है अगर सामान्य कार्य भी इन अवस्थाओं में किया जाए तो कार्य कि पूर्ति होती है।
लग्न शुद्धि ,चंद्रमा शुद्धि ।
लग्न उत्तम स्थिति में होने पर कार्य करने वाले का उत्साह भी अच्छा हो।
जन्म राशि व लग्न राशि से तीसरा, छठा,दसवां, ग्यारहवां इन भावों में शुभ ग्रह होकर लग्न को देखता हो चंद्रमा लग्न से तीसरे, छठे, दसवें, ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो कार्य सफल होता है।
चंद्रमा तथा लग्नेश कुंडली में इन दोनों की स्थिति अच्छी होनी चाहिए।
शुभ नक्षत्र:- अश्वनी,पुनर्वसु चित्रा,अनुराधा, घनिष्ठा।
शुभ वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार ,बृहस्पतिवार,शुक्रवार।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि ४-९-१४ तथा अमावस्या, श्राद्ध पक्ष , होलाष्ट, ग्रहण वर्जित होती हैं।
बाकी सभी तिथियां शुभ हैं।
चंद्रमा विचार:- सामान्य कर्म करते समय व्यक्ति कि प्रचलित नाम राशि से गिनने पर चंद्रमा ४,६,८,१२ वां नहीं होना चाहिए।
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