रोग मुक्ति स्नान मुहूर्त का प्रयोजन है विशेष मुहूर्त में रोगी को स्नान करवाया जाता है जिससे उसको रोग से मुक्ति मिलती है। इसके लिए विशेष नक्षत्रों के अनुसार समय सुनिश्चित किया जाता है।
नक्षत्र:- अश्विनी ,भरणी, कृतिका,मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी,हस्त,चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल,पूर्वाषाढ़ा, श्रवण,पूर्वाभाद्रपद ये सब शुभ होते हैं।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि(4,9,14) तथा अमावस्या को छोड़ कर सभी तिथि शुभ है।
शुभ वार:- सोमवार, शुक्रवार को छोड़कर सभी वार शुभ है स्नान के लिए।
शुभ लग्न:- मेष,कर्क,तुला,मक्कर इन लग्नो को छोड़ कर सभी लग्न शुभ है। द्वेष भाव लग्न में भी चर का समय छोड़ दें।
चंद्रमा की शुद्धि ,लग्न शुद्धि की।
पहले ,चौथे,पांचवें, सातवें, नोवें, दसवें,ग्यारहवें भाव में पाप ग्रह ना हो ।
रोग से उठे हुए व्यक्ति को नहलाया जाए और जो पानी मैला हुआ है उसे घर से दूर ऐसी जगह पर गढ्ढे में डालकर मिट्टी डालें और यह ध्यान रहे कि किसी कारण से वह मिट्टी या पानी घर में दोबारा ना आए।
इसके लिए दक्षिण दिशा उत्तम रहती है।
मुहूर्त निकलवाने के लिए यह फार्म भरे।