चंद्रमा विचार:– स्वयं कि राशि से चंद्रमा चौथा छठा आठवां बारहवां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र:- अश्वनी, मृगशिरा, पुनर्वसु,पुष्य, हस्त,चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल,श्रवण, धनिष्टा, शतभिषा, रेवती तथा इनमे से कोई जन्म नक्षत्र हो तो छोड़ दें।
तिथि विचार:- चतुर्थी नवमी चतुर्दशी श्राद्ध पक्ष होलाष्ठ निषेध हैं।
वार विचार:- सोमवार बुधवार बृहस्पतिवार शुक्रवार रविवार।
चंद्रमा शुद्धि, लग्नशुद्धि परम आवश्यक हैं।
७,८,१२ भाव मे पाप ग्रह ना हो।
द्विस्वभाव लग्न शुभ रहता है।
चिकित्सा पद्धति, शैल्य चिकित्सा पर अभ्यास करना शुभ रहता है। धन्वंतरी देव की पूजा करके कार्य प्रारंभ करें।