रजो दर्शन संस्कार का प्रयोजन सन्तान प्राप्ति के लिए मासिक धर्म के बाद शुद्धि होने के पश्चात शुभ मुहूर्त में किया गया सहवास। इस संस्कार में देवपूजन कर तथा समय निर्धारित कर सहवास किया जाता था।
आज के परिवेश में यह संस्कार प्राय: नहीं होता। आज के समय में रजोदर्शन के बाद कुछ जगहों पर केवल गणेश-पूजन होता है। और यह भी बहुत कम जगहों पर ही किया जाता है। लेकिन जहां अब भी सनातन संस्कृति कि परम्पराओं का प्रभाव है वहां यह संस्कार अभी भी किया जाता है।
इस संस्कार का बहुत बड़ा महत्त्व है। सन्तान कि इच्छा रखने वाले व्यक्ति को यह संस्कार जरूर करना चाहिए।
शुभ नक्षत्र :- अश्विनी,मृगशिरा,हस्त,चित्रा,,स्वाती,अनुराधा, उत्तराभाद्रपदा , उत्तराषाढा,उत्तराफाल्गुनि,श्रवण, धनिष्ठा , शतभिषा, रेवती शुभ नक्षत्र होते हैं।
चन्द्रमा विचार:- ४,६,८,१२ वां नहीं होना चाहिए।
शुभ मास :- माघ ,फाल्गुन, मार्गशीर्ष, वैशाख ,ज्येष्ठ ,अश्विन।
पक्ष विचार :- सभी मास में शुक्ल पक्ष ।
तिथि :- रिक्ता(4,9,14) तथा अमावस्या वर्जित है।
वार :- सोमवार,बुधवार, गुरूवार,शुक्रवार ।
लग्न :- कोई भी हो सकता हैं ।
मुहूर्त निकलवाने के लिए नामाकन करे-