पेड़ लगानें के मुहूर्त का प्रयोजन है वृक्षों को उचित समय पर रोपण किया जाए, किसी भी कार्य को कार्य कि प्रकृति के अनुसार किया जाए तो उसके परिणाम उत्तम होते हैं।
बगीचे कि खेती लंबे समय के लिए कि जाती है और इसमें उचित समय पर वृक्षारोपण किया जाता है
प्राचीन काल में वृक्ष रोपण के कार्यों मुहूर्तों के अनुसार हि किया जाते थे है। नक्षत्र और वृक्षों का आपस में गहरा संबंध है। प्राचीन काल से ही उपचारीय पद्धति में उपायों के लिए वृक्षों का रोपण करवाया जाता था।
जब बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में हो तो 27 वृक्षों के रोपण का विधान है। लेकिन आजकल ज्योतिषी ज्ञान के अभाव में नक्षत्रों के सूचक वृक्षों के पत्तों इकट्ठा करवाते हैं।
इन नक्षत्रों के सूचक वृक्षों के रोपण का विधान था तथा वृक्ष कि स्थिति के अनुसार दोष कि स्थिति का आंकलन किया जाता था पेड़ जितना विकसित होता उतना ही दोष का प्रभाव कम होता,और पेड़ कमजोर होता था तो दोष कि संभावनाएं बनी रहती।
नक्षत्रों के अनुसार पेड़ों पूजन पूजन तथा उपचारीय पद्धति में उपचार के लिए पेड़ की जड़ को धारण करने का विधान है।
वृक्ष रोपण करते समय यह विशेष ध्यान रखें कि भूमि सोई हुई ना हो। सोई हुई भूमि में वृक्षारोपण करने से उत्तम फलों कि प्राप्ति नहीं होती।
चंद्रमा विचार:- ४,६,८,१२वां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र:- अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, उत्तरषाढ़ा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपदा , रेवती।
शुभ वार:- सोमवार, गुरुवार,शुक्रवार।
शुभ तिथि:- शुक्लपक्ष कि पंचमी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तक।
वर्जित तिथि:- रिक्ता(४,९,१४) तिथि ।
पेड़ लगाने से जीवन का विस्तार होता हैं, प्रति वर्ष पेड़ लगाने चाहिए। वैसे तो वर्षा ऋतु में पौधों कि जड़ें जल्दी विकसित होती है लेकिन वर्ष भर में ग्रीष्मकाल को छोड़कर सभी ऋतुओं में वृक्षारोपण किया जा सकता है।
पेड़ लगाने का अभिप्राय है एक जीवन को विकसित करना प्रकृति के कल्याण में एक बेहतरीन सहयोग। और यह सहयोग मनुष्य का परम कर्तव्य भी है।
प्रकृति ही हमारा जीवन है और इस जीवन का आधार है ये वृक्ष। घर में जितने सदस्य हैं प्रत्येक सदस्य के हाथ से जन्म दिवस पर एक वृक्ष जरूर लगाएं। यह धर्म का आधार है।
हम पेड़ लगाकर भी अपने पूर्व जन्मों के कर्ज़ उतार सकते हैं। पृथ्वी पर सभी जीव एक जीवन चक्र का हिस्सा है और मनुष्य को छोड़कर सभी जीव प्रकृति के सहायक है लेकिन मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए इस प्रकृति को नुक्सान पहुंचा रहा है। इस नुकसान कि भरपाई हम पेड़ लगाकर कर सकते हैं।
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