पशु खरीद मुहूर्त का प्रयोजन है कि उचित समय में घर पर पशुधन का प्रवेश हो जिससे घर में समृद्धि बढ़े ।
प्राचीन काल से ही मनुष्य का सहायक रहा है पशुधन। मनुष्य ने अपनी जरूरतों के अनुसार पशुओं को पालतू बनाया और अपने परिवार का हिस्सा बनाया। पशु मानव सभ्यता में पुजनीय रहा है। क्यों कि मनुष्य से पहले इस पृथ्वी पर पशुओं का आगमन हुआ है। मनुष्य पशु से विकसित हुआ है इस लिए पशुओं को सनातन संस्कृति में विशेष महत्व दिया गया है। इस लिए पशुओं को विशेष स्थान दिया गया जब इनको घर पर लाया जाता है तो विशेष मुहूर्त का प्रावधान है।
शुभ नक्षत्र:- अश्वनी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपदा और रेवती ।
विशेष निषेध नक्षत्र :- श्रवण ,चित्रा, ध्रुव संज्ञक (उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद,रोहिणी) विशेष वर्जित नक्षत्र है ।ना ही खरीदना चाहिए और ना ही बेचना चाहिए अशुभ फल प्राप्त होता हैं।
शुभ वार:- बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, रविवार।
वर्जित वार :- सोमवार, मंगलवार और शनिवार वर्जित है। शुभ फल प्राप्त होते हैं।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
विशेष पशु के लिए खरीदारी का मुहूर्त।
हाथी ख़रीदने का मुहूर्त:-
शुभ नक्षत्र:- अश्विनी,पुष्य, पुनर्वसु,हस्त, चित्रा स्वाति
शुभ वार:- बुधवार, बृहस्त, शुक्रवार, रविवार।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
घोड़ा खरीदने का मुहूर्त:-
शुभ नक्षत्र:- अश्वनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त स्वाति, घनिष्ठा, शतभिषा, रेवती।
शुभ वार:- बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, रविवार।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
गाय खरीदने का मुहूर्त: –
शुभ नक्षत्र:- भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, पूर्वाभाद्रपद, उत्तर-भाद्रपद।
वर्जित नक्षत्र:- ज्येष्ठा, बनेना, हस्त, विशाखा, पुष्य, शतभिषा, पुनर्वसु, अश्वनी, रेवती इन नक्षत्रों को छोड़कर बाकी सभी में गाय खरीदना शुभ माना जाता है।
शुभ वार:- सोमवार, मंगल और शनिवार वर्जित है।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
इन मुहूर्तों के अलावा योनि चक्र देखकर भी पशु को खरीदा जा सकता है।
28 नक्षत्रों के अनुसार 14 योनियाँ बनती हैं। व्यक्ति अपने नाम अक्षर के अनुसार योनि का पता लगाकर मित्र योनि में पशु खरीद सकता है। पशु ख़रीदते समय गोचर में जो नक्षत्र है, उसकी योनि मित्र योनि का पशु ख़रीद सकता है।
नक्षत्र।
- अश्विनी, शतभिषा। अश्व।(घोड़ा)
- भरणी,रेवती। गज।(हाथी)
- कृत्तिका, पुष्य। मेष ।(भेद)
- रोहिणी, मृगशिरा। साँप।(साँप)
- ओरा,मूली।। श्ववान (भेड़िया)
- पुनर्वसु, आश्लेषा। मारजार
- मघा, पूर्वाफाल्गुनी ।। चूहा
- उत्तराफाल्गुनी, उत्तरा भाद्रपद। गौ।
- हस्त,स्वाति । महिष ( भैंस)
- चित्रा, विशाखा । व्याघ्र
- अनुराधा, ज्येष्ठा। मृग (हिरण)
- पूर्वाषाढ़ा , श्रवण।। वानर
- उत्तराषाढ़ा , अभिजीत। नकुल
- धन्निता, पूर्वाभाद्रपद । सिंह
पशु श्रृंगार मुहूर्त:-
भगवान शिव का श्रृंगार उनके उत्साहवर्धक वर्धन में बहुत सहायक होता है। शादी समारोह में शामिल होने वाली घोड़ी के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। जो पशु मंदिर परिसर में रहते हैं और उनकी श्रृंगार पूजा के अनुसार किया जाता है, उनके लिए भी मुहूर्त देखना अनिवार्य नहीं है।
गाय श्रृंगार मुहूर्त : –
शुभ नक्षत्र:- भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, चित्रा,स्वाति,अनुराधा,मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, पूर्वाभाद्रपद, उत्तर-भाद्रपद।
शुभ वार:- सोमवार, मंगल और शनिवार वर्जित है।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
हाथी श्रृंगार मुहूर्त:-
अश्विनी,पुष्य,पुर्णवसु,हस्त,चित्रा स्वाति ।
शुभ वार:- सोमवार, मंगल और शनिवार वर्जित है।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
अश्व श्रृंगार मुहूर्त:- अश्वनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त स्वाति, घननिष्ठा, शतभिषा और रेवती।
शुभ वार:- सोमवार, मंगल और शनिवार वर्जित है।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि (4,9,14) अमावस्या तथा अष्टमी वर्जित है।
मुहूर्त निकलवाने के लिए नामाकन करे-