
पंचांग दर्शन से अभिप्राय है कि आकाश में ग्रहो एवं उपग्रहों कि स्थिति और गति के बारे सटीकता से स्थिति का परिचय देने वाली इस पुस्तक को पंचांग कहते हैं।
सनातन संस्कृति को जीवित रखने वाले ज्योतिष शास्त्र एवं सामुद्रिक शास्त्र के संक्षिप्त रूप को पंचांग कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के ज्ञान को ग्रहण करने कि प्राथमिक शिक्षा भी दैनिक पंचांग से होती है। केवल जन्म कुंडली को पढ़ना ज्योतिष शास्त्र नहीं होता । जन्म कुंडली का निर्माण कैसे होता है यह भी पता होना चाहिए। जन्म कुंडली एवं सभी कुंडलियों का निर्माण पंचांग से होता है।
ज्योतिष का आधार पंचांग पर आधारित है।अगर आप ज्योतिष को जानना चाहते हैं तो उससे पहले पंचांग को जानिए। ज्योतिष शास्त्र कि शुरुआत पंचांग से होती है। आजके समय में विद्यार्थी केवल कुंडली पर ध्यान देते हैं पंचांग पर ध्यान नहीं दे पाते। इसका एक कारण आज के समय में ज्योतिष गणना नहीं कि जाती इस विषय पर मेहनत नहीं करते क्योंकि यह सब कंप्यूटर के द्वारा आसान हो गया है।
समय, दिनांक तथा समय कि जानकारी कंप्यूटर में दर्ज करने पर कुंडली कि स्थिति सामने आ जाती है।और कुछ सिद्धांतों को याद करके कुंडली की विवेचना कि जाती है। ज्योतिष कि परिपाटी अब एक व्यवसाय बन चुका है। इस लिए ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थी पंचांग के रहस्यों से दूर रहते हैं। अगर आप ज्योतिष का अध्ययन करना चाहते हैं तो सबसे पहले पंचांग को जानिए।
अगर आप पंचांग को जान जाते हैं तो ज्योतिष विज्ञान को समझने में आसानी होगी।
पंचाग के अध्ययन का पाठ्यक्रम इस युक्ति के साथ तैयार किया गया है कि आप छः महीने में पंचांग दर्शन क्रिया में पारंगत हो जायेंगे।आपको अभ्यास तथा पंचांग शोधन क्रिया से धन की प्राप्ति के लिए मार्ग प्रशस्त करने तक हम आपके साथ बने रहेंगे। आप जितने ध्यान से इस विद्या का अध्ययन करेंगे उतनी ही क्षमता आप अपने अंदर विकसित कर पायेंगे।
पंचांग दर्शन पाठ्यक्रम सूची।