Lunar eclipse tableLunar eclipse table

चंद्र ग्रहण सारणी विक्रमी संवत-2082

चंद्र ग्रहण क्यों लगता है?

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चंद्र ग्रहण कि स्थिति जब बनती है तब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आती है । सूर्य के प्रकाश से चंद्रमा प्रकाश मान होता है लेकिन इस स्थिति में चंद्रमा पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश में पृथ्वी अवरोध करती जितने समय यह अवरोध बना रहता उस काल को ग्रहण कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में इस स्थिति को चंद्रमा के लिए कष्ट क़ारी कहा गया है। इस स्थिति के अंतर्गत तो समयावधि होती है उस अंतराल आवरण में भी नाकारात्मक प्रभाव होता है।

संवत् २०८२ में भूमण्डल पर कुल दो चंद्रग्रहण होंगें। दोनों ही भारतभूमि पर दिखाई देंगें ।

1 प्रथम चंद्र ग्रहण :- भाद्रपद पुर्णिमा रविवार, संवत २०८२, ता. 7 सितंबर 2025 को होगा ।
इस चंद्रग्रहण का स्पर्श स्टै. रात्रि 9 बजकर 53 मिनट से शुरू मध्य रात्रि 11 बजकर 39 मिनट पर और मोक्ष रात्रि को 1 बजकर 25 मिनट तक।

सूतक काल भारतीय स्टैं. दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा। (ग्रहण के स्पर्श समय से ९ घंटा पहले) शुरू
ग्रहण के सूतक में बाल वृद्ध और अस्वस्थ जनों को छोड़कर भोजनादि निषेध है।
यह खग्रास चंद्रग्रहण भारत के सभी भागों में समान रुप से दिखाई देगा ।

2 द्वितीय चंद्रग्रहण :- फाल्गुन पुर्णिमा मंगलवार, संवत् २०८२, ता. 3 मार्च 2026, को होगा।
इस खग्रास चंद्रग्रहण का स्पर्श समय भारतीय स्टै. १५/२७ दोपहर 3 बजकर 11, मध्य १७/११ बजे और मोक्ष १८।५६ बजे है। इस ग्रहण का सूतक स्टैं. ६।२७ बजे से (ग्रहण के स्पर्श समय से ९ घंटा पहले) प्रारम्भ होगा। ग्रहण के सूतक में बाल वृद्ध और अस्वस्थ जनों को छोड़कर भोजनादि निषेध है।

नोट – जहाँ चंद्रोदय स्टैं. दोपहर 3 बजकर 27 मिनट के बाद और 6 बजकर 56 मिनट।के पहिले होगा वहाँ ग्रस्तोदय ग्रहण होगा ।

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