द्विपुष्कर योग सारणी – विक्रमी संवत 2082 रवि ,शनि  या मंगलवार को भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी,द्वादशी )और दो पाद एक ही  राशि में होने वाले नक्षत्र मृगशिरा ,चित्रा या धनिष्ठा हो तो द्विपुष्कर योग होता है द्विपुष्कर योग में किए गए कार्य का फल दो बार मिलता है।

इस मुहूर्त में अगर कोई चलाएं मान कार्य जैसे फैक्ट्री लगाना वाहन खरीदना इत्यादि कुछ भी खरीदते हैं तो वह कार्य कि फल प्राप्ति में दूगनि वृद्धि होती है।जिसमें लाभ या हानि दुगनी होती है

2025 मई माह में द्विपुष्कर योग ।

  • 20 -5 -2025 प्रातः 5 बजकर 42 मिनट से 5 बजकर 56 मिनट तक।
  • 27 – 5 – 2025 रात्रि बाद प्रातः 5 बजकर 7 मिनट से 5 बजकर 39 मिनट तक।

2025 जून माह में द्विपुष्कर योग ।

  • 7 – 6 -2025 प्रातः 5 बजकर 38 मिनट से 9 बजकर 40 मिनट तक।

2025 जुलाई माह में द्विपुष्कर योग ।

  • 22 – 7 – 2025 प्रातः 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 5 मिनट तक।

2025 अगस्त माह में द्विपुष्कर योग

  • 10 – 8 – 2025 दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 1 बजकर 48 मिनट तक।

2025 सितंबर माह में द्विपुष्कर योग ।

  • 23 – 9 – 2025 दोपहर 1 बजकर 37 मिनट से रात्रि बाद प्रातः 4 बजकर 48 मिनट तक।

2025 अक्टूबर माह में द्विपुष्कर योग ।

  • 4 -10 – 2025 सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 6 मिनट तक।2025 नवंबर माह में द्विपुष्कर योग ।
  • 16 – 11 – 2025 रात्रि 2 बजकर 11 मिनट से प्रातः 4 बजकर 50 मिनट तक।

2025 दिसंबर माह में द्विपुष्कर योग।

  • 6 – 12 – 2025 प्रातः 7 बजकर 12 मिनट से 8 बजकर 50 मिनट तक।

2026 जनवरी माह में द्विपुष्कर योग।

  • 20 – 1 -2026 दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से रात्रि 2 बजकर 43 मिनट तक।2026 मार्च माह में द्विपुष्कर योग।
  • 15 – 3 – 2025 रात्रि बाद प्रातः 5 बजकर 53 मिनट से 6 बजकर 43 मिनट तक

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