ब्रह्मांड में सब चलायमान है और इसी भ्रमण मार्ग पर जब भ्रमण करते समय ग्रहों तथा नक्षत्रों के योग से विभिन्न स्थितियों का निर्माण होता है। जब कोई ग्रह नक्षत्र में भ्रमण करता हैं। तो एक नई स्थिति का निर्माण होता है।
उसी प्रकार गोचर में जब सोमवार को श्रवण नक्षत्र हो तो वह योग अवधि अमृत समान होती है इस लिए इन विभिन्न वारों को इन नक्षत्रों के द्वारा भ्रमण करने पर अमृत सिद्धि योग कहा जाता हैं।
विक्रमी संवत-
ब्रह्मांड में सब चलायमान है और इसी भ्रमण मार्ग पर जब भ्रमण करते समय ग्रहों तथा नक्षत्रों के योग से विभिन्न स्थितियों का निर्माण होता है। जब कोई ग्रह नक्षत्र में भ्रमण करता हैं। तो एक नई स्थिति का निर्माण होता है।
उसी प्रकार गोचर में जब सोमवार को श्रवण नक्षत्र हो तो वह योग अवधि अमृत समान होती है इस लिए इन विभिन्न वारों को इन नक्षत्रों के द्वारा भ्रमण करने पर अमृत सिद्धि योग कहा जाता हैं।
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