- 5 ग्रहों के क्रमानुसार बुध सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह है सूर्य से बुध के बीच की दूरी 5 करोड़ 27 लाख 28 हजार किलोमीटर माना गया है ।
- यह सूर्य का एक चक्कर लगभग 88 दिन में पूरा करता है ।
- इसकी गति लगभग 112000 मील से 18 0000 प्रति घंटा होती है।
- यह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है।
- इसका व्यास 487 9.4 किलोमीटर है।
- बुध ग्रह का वजन 3.285×10^23 है।
बुध ग्रह अपनी धुरी पर एक चक्कर 58.7 दिन में पूरा करता है। इसकी सतह पर पारे का भंडार है। इसको हमेशा सूर्य के नजदीक ही देखा जाता है। इसका रंग हरा हैं।
बुध ग्रह का ज्योतिषी महत्व :- बुध ग्रह को त्वचा, वाणी, बुद्धि ,तर्क क्षमता बाल्यकाल का कारक माना गया।ये ऐ कुंडली में सूर्य के समीप ही रहते है।
बुध को बाल्यावस्था का ग्रह माना गया है। इनका स्वभाव बच्चे कि तरह होता है। यह जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके गुण ग्रहण कर लेता है। अच्छे ग्रह के साथ बैठता है तो अच्छे गुण आते हैं बुरे ग्रह के साथ बैठता है तो बुरे गुण आते हैं। वैसे बुध शुभ ग्रहों कि श्रेणी में आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध ग्रह को देव माना गया है यह बहुत ही कांतिमय तथा तर्क क्षमता वाले हैं इनके जन्म से संबंधित एक घटनाक्रम पुरानी कथाओं में प्रचलित है इनके पिता का नाम बृहस्पति तथा चंद्र देव दोनों को कहा गया है।
बृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु एवं पुरोहित माना गया है। ये अंगिरा ऋषि की सूरूपा नाम की पत्नी से पैदा हुए थे। इनकी दो पत्नियां थीं ।इनके नाम तारा और शुभा थे।तारा बहुत सुंदर थी।चंद्रमा ने उनको देखा ओर वह मोहित हो गए। ओर मोका मिलते ही चंद्रमा(सोम)तारा को उठा ले गया। इस पर बृहस्पति और सोम में युद्ध ठन गया। अंत में ब्रह्मा के हस्तक्षेप करने पर सोम ने बृहस्पति की पत्नी को लौटाया। कुछ समय बाद तारा ने एक पुत्र को जन्म दिया।
ऐसे में जब चंद्र देव और बृहस्पति का विवाद बढ़ गया तब ब्रह्माजी के पूछने पर तारा ने उन्हें बताया कि यह पुत्र चंद्र देव का ही पुत्र है। इसके बाद चंद्र देव ने बालक का नामकरण संस्कार किया और उसे बुध नाम दिया गया। चंद्रमा ने उन्हें अपना पुत्र घोषित किया और उनका जातकर्म संस्कार करना चाहा। तब बृहस्पति ने इसका प्रतिवाद किया। बृहस्पति भी बुध की कांति से प्रभावित हुऐ और उन्हें अपना पुत्र के रुप में स्वीकार कर लिया।इस लिए इनको दो वर्णों कि संज्ञा मिली हुई है।
ब्राह्मण और क्षत्रिय।
इनमें दोनों देवों के गुण आए हुए हैं चंद्रमा से चंचलता और बृहस्पति से ज्ञान।
बुध ग्रह से वाकपटुता तथा हाजिर जवाबी का विचार किया जाता है। यह विशेषता ज्ञान तथा तेज कल्पना करने कि क्षमता के कारण विकसित होती है।