अंकज्योतिष ज्योतिष शास्त्र कि ही एक शाखा है। इसके अनुसार जीवन के रहस्यों तथा अन्य घटनाक्रमों को जानना ज्योतिष शास्त्र कि अपेक्षा सरल है। यह शास्त्र मूलतः ज्योतिष शास्त्र से प्रेरित हैं। इस शास्त्र का उद्गम भ्रमण काल में ज्योतिष के विद्वानों ने किया है।
कुंडली बिना देखे ही व्यक्ति के स्वभाव कि जानकारी प्राप्त करना अंक ज्योतिष कि विशेषता है। जब भ्रमण करते समय विद्वानों से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रश्न किए गए तो विद्वानों ने ज्योतिष कि इस उप शाखा का निर्माण किया। यह विद्या भ्रमण करने वाले विद्वानों में ज्यादा प्रचलित थी। क्यों कि वो हमेशा चलते रहते थे। वे व्यक्ति से नाम अथवा जन्म तिथि पूछकर ही व्यक्ति के जीवन काल का विवरण बता देते थे।
जो विद्वान एक जगह बैठकर ज्योतिष शास्त्र का अभ्यास करते थे उनमें अंक ज्योतिष का प्रचार प्रसार कम हुआ। लेकिन जो एक जगह से दूसरी जगह पर चलायमान रहते थे उन्होंने इस शास्त्र को ज्योतिष ज्ञान के आधार पर और भी ज्यादा विकसित किया।
अंक शास्त्र को सिखना और अभ्यास करना दोनों ही ज्योतिष शास्त्र कि तुलना में सरल है। यह विद्या परम सहायक उनके लिए है जिनके पास जन्म समय कि वास्तविक जानकारी नहीं है। उनके लिए यह विद्या भ्रम दूर करने के लिए पुरी तरह सहायक है।
जन्म कुंडली कि सबसे बड़ी जटिलता है उसमें वास्तविक जन्म समय का होना। भारत सदियों से विश्व गुरु रहा है। अनेकों रहस्यमय विज्ञान तथा अनेकों विद्याएं इस संसार को भारतीय संस्कृति ने दी है। लाखों कि संख्या में लोग भारत में ज्ञान ग्रहण करने आते रहे हैं और आज के समय में भी यही परिपाटी जारी है।
भारतीय परंपरा में अनुशासित रह कर ज्ञान ग्रहण करना तथा उसका प्रचार प्रसार करना नियमित रूप से प्रचलन में रहा है। इसी परंपरा के अंतर्गत इस दिव्य ज्ञान का प्रचार प्रसार विश्वभर में सबसे ज्यादा हुआ।
कोई भी व्यक्ति जब एक सिद्धांत पर कार्य करता है अथवा ज्ञान ग्रहण करता है तो वह ज्ञान सिमीत होता है लेकिन जब उस ज्ञान के आधार पर जब वह अभ्यास करता है तब उस सिद्धांत को समझता है तथा विकसित करता है।
भारतीय संस्कृति और भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन यूनानियों ने सबसे अधिक किया है। हमारे ज्योतिष शास्त्र में पहले नक्षत्र पद्धति का प्रचलन होता था लेकिन यूनानी विद्यार्थियों ने इसमें शोध करके राशि चक्र का महत्व बढा़या और फिर राशियों के अनुसार देखने का प्रचलन शुरू हुआ।
इसी तरह हमारे अंक ज्योतिष को भी विश्व भ्रमण करवाया और इसे अपनी जरूरतों के अनुसार नाम दिये गये। जहां जहां इस शास्त्र का प्रचलन बढ़ा अपनी स्थिति के अनुसार नियमों में बदलाव किया गया। इसका नाम भी बदला गया।
लेकिन भारत में इसका नाम अपनी पुरानी पहचान के साथ अंक ज्योतिष के नाम पर ही रहा। हमारे ऋषि-मुनियों ने जो नियम एवं सिद्धांत अंक ज्योतिष के लिए निर्धारित किए हुए हैं आज भी वह नियम सटीक और 100% प्रभावशाली है। और उन्हीं सिद्धांतों के आधार पर ही अंक शास्त्र पर कार्य किया जा रहा है। समयांतर में कुछ बदलाव होते रहते हैं वह समय कि जरूरत के अनुसार ही अपने आप हो जाते हैं।
इस विद्या कि सबसे बड़ी विशेषता है कि यह विद्यार्थी को जल्दी समझ में आ जाती है।और इसका अध्ययन करना और अभ्यास करना और भी ज्यादा आसान है। इस लिए यह ज्योतिष शास्त्र से ज्यादा प्रचलित हुआ। पश्चिमी देशों में अंकशास्त्र (Numerology) ही सबसे ज्यादा विकसित हुआ।
व्यक्ति के स्वभाव तथा उसके पुरूषार्थ कि पहचान अंक शास्त्र के अनुसार सुगमता तथा सटीकता से होती है। व्यक्ति किस क्षेत्र में अपने पुरूषार्थ को विकसित कर सकता है तथा अपने रिश्तों को विकसित कर सकता है। इस विद्या का आधार केवल आपकी जन्म तिथि तथा आपके प्रचलित नाम पर आधारित है। जन्म तिथि से ही जीवन के रहस्यों का आंकलन हो जाता है। और जन्म तिथि भी वही जो आपके आधार कार्ड पर अंकित है।
इस सुविधा के लिए आपको अपना प्रचलित नाम एवं वह जन्म तिथि जो आपके पहचान पत्र में अंकित है वह लिखनी है।
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