नये वस्त्र व आभूषण धारण मुहूर्त का प्रयोजन है। वस्त्र एवं आभूषण को उचित समय पर धारण करना। जिससे सौभाग्य कि प्राप्ति हो।
जीवन में भौतिक सुख का प्रतीक माना जाता है आभूषण और वस्त्र और इसे धारण करने का विशेष प्रावधान है। इसी प्रावधान के अनुसार मुहूर्त के नियम बताए गए हैं।
उचित समय पर धारण किया गया वस्त्र एवं आभूषण हमेशा सुखदाई होता है।
चंद्रमा विचार:- चौथा, छठा, आठवां, बारहवां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र:- भरणी,कृतिका, मृगशिरा, आर्द्रा, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी,ज्येष्ठा, मूल,पुर्वाषाढा, श्रवण,शतभिषा, पुर्वा भाद्रपद ये नक्षत्र शुभ माने गये हैं।
शुभ वार:- रविवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार ये वार शुभफल दायी हैं।
शुभ तिथि:- रिक्ता तिथि(4,9,14),अमावस्या, श्राद्ध तिथि, होलाष्ट ,सुतक-सावड़।
अगर अनजाने में बिना मुहूर्त के पत्नी आभूषण धारण कर लेवे भी तो पति सांत्वना से दोष मुक्ति हो जाती हैं।
मुहूर्त के अनुसार धारण किए गये वस्त्र तथा आभूषणो से ऐश्वर्य तथा सोभाग्य में वृद्धि होती हैं।तथा प्रयोजन सिद्धि की वृद्धि होती है।
किसी ब्राह्मण के कहे जाने पर, विवाह संस्कार, विशेष उत्सव तथा राजा के कहे जाने पर तथा यात्रा मे वस्त्र नष्ट हो जाने पर नये वस्त्र धारण करने के लिए विशेष मुहूर्त का ध्यान अनिवार्य नहीं होता।
मुहूर्त निकलवाने के लिए नामाकन करे-