नई दुकान खोलने के मुहूर्त का प्रयोजन है नया व्यापार तथा नई दुकान को शुरू करना। इसके लिए हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा मुहूर्त का प्रावधान है। जिसका अनुशरण करके आप भी लाभन्वित हो सकते है।

चंद्रमा विचार:- स्वयं के नाम कि राशि से चंद्रमा चौथा छठा आठवां बारहवां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र:- अश्वनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा उत्तराभाद्रपद, रेवती।
शुभ वार:- रविवार ,सोमवार, बुधवार बृहस्पतिवार ,शुक्रवार ।
योग :- विष्कुम्भ ,अतिगण्ड ,धृति ,शूल ,गण्ड ,ध्रुव ,व्याघात ,हर्षण ,वज्र , व्यतीपात , वरीयान् आदि योग निषेध है।
करण विचार :- विष्टि भद्रा काल निषेध है।
लग्न विचार :- स्थिर लग्न शुभ फल दाई होता है।
लग्न शुद्धि। :- लग्नेश की स्थिति उत्तम होनी चाहिये। ४,६,८,१२ वे भाव में नहीं होना चाहिए।
शुभ तिथि:- १,२,३,५,६,७,८,१०,११,१२,१३,१५।
वर्जित तिथि:- रिक्ता तिथि (४,९,१४) अमावस्या , श्राद्ध, सुतक-सावड़, होलाष्टक वर्जित है।
गुरु और शुक्र अस्त नहीं होना चाहिए। व्यापार कोई भी हो वह शुक्र और गुरु कारक होता है इस लिए गुरु शुक्र अस्त नहीं होने चाहिए।
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