
पंचांग शोधन विधि से अभिप्राय है कि आकाश में ग्रहो एवं उपग्रहों कि स्थिति और इनकी गति के बारे सटीकता से स्थिति का परिचय देने वाली इस ग्रंथ को पंचांग कहते हैं। व्यक्ति विशेष के लिए अथवा किसी विशेष कार्य को करते समय ग्रहों व उपग्रहों कि विशेष स्थिति का चुनाव एवं समय का निर्धारण करना पंचांग शोधन विधि कहलाता है।
सनातन संस्कृति को जीवित रखने वाले ज्योतिष शास्त्र एवं सामुद्रिक शास्त्र के संक्षिप्त रूप को पंचांग कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के ज्ञान को ग्रहण करने कि प्राथमिक शिक्षा भी दैनिक पंचांग से होती है। केवल जन्म कुंडली को पढ़ना ज्योतिष शास्त्र नहीं होता । जन्म कुंडली का निर्माण कैसे होता है यह भी पता होना चाहिए। जन्म कुंडली एवं सभी कुंडलियों का निर्माण पंचांग से होता है।
पंचांग शोधन विधि का प्रचलन हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से है। वर्तमान आधुनिक समय में प्रत्यक्ष रूप से हम इन ग्रहों को देखते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों से इन ग्रहों कि स्थिति कि जानकारी के लिए पंचांग विधि का निर्माण कर लिया था।
ब्रह्मांड में किसी भी वस्तु विशेष कि जानकारी हमें पंचांग विधि से प्राप्त होती है । हमारी सनातन संस्कृति में पंचांग से समयावधि एवं समय का विशेष ज्ञान ग्रहण करके ही कार्य को करने कि शुरुआत कि जाती है। पंचांग हमारी प्राचीन काल दर्शन प्रणाली है एक समय था जब इस विधि को घर में एक व्यक्ति जरूर जानता था ,लेकिन आज के समय में इस विधि को केवल सिमीत व्यक्ति ही जानते है । इसी कारण प्रभावशाली समय का चुनाव नहीं हो पाता।
ज्योतिष का आधार पंचांग पर आधारित है।अगर आप ज्योतिष को जानना चाहते हैं तो उससे पहले पंचांग को जानिए। ज्योतिष शास्त्र कि शुरुआत पंचांग से होती है। आजके समय में विद्यार्थी केवल कुंडली पर ध्यान देते हैं पंचांग शोधन विधि पर ध्यान नहीं दे पाते। इसका एक कारण आज के समय में ज्योतिष गणना नहीं कि जाती इस विषय पर मेहनत नहीं करते क्योंकि यह सब कंप्यूटर के द्वारा आसान हो गया है।
समय, दिनांक तथा समय कि जानकारी कंप्यूटर में दर्ज करने पर कुंडली कि स्थिति सामने आ जाती है।और कुछ सिद्धांतों को याद करके कुंडली की विवेचना कि जाती है। ज्योतिष कि परिपाटी अब एक व्यवसाय बन चुका है। इस लिए ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थी पंचांग के रहस्यों से दूर रहते हैं। अगर आप ज्योतिष का अध्ययन करना चाहते हैं तो सबसे पहले पंचांग को जानिए।
अगर आप पंचांग को जान जाते हैं तो ज्योतिष विज्ञान को समझने में सरलता होगी।
पंचांग शोधन विधि एवं मुहूर्त निर्धारण करने के नियमित अध्ययन का पाठ्यक्रम को इस युक्ति के साथ तैयार किया गया है कि आप छः महीने में पंचांग शोधन विधि में पारंगत हो जायेंगे। हम आपको अभ्यास तथा पंचांग शोधन क्रिया से धन की प्राप्ति के लिए मार्ग प्रशस्त करने तक आपके साथ बने रहेंगे। आप जितने ध्यान से इस विद्या का अध्ययन करेंगे उतनी ही क्षमता आप इस विद्या को अपने अंदर विकसित कर पायेंगे।
पंचांग शोधन विधि के पाठ्यक्रम कि सूची।
पाठ्यक्रम से संबंधित समय सारिणी ।
पाठ्यक्रम से संबंधित समयावधि एवं शुल्क सूची ।
इस विद्या को ग्रहण करने के लिए योग्य विद्यार्थी।
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