कुंडली मिलान:-
कुंडली मिलान एक सूत्र है जो दो आत्माओं के स्वभाव की पहचान करके उनकी प्रकृति के आपसी तालमेल को सुनिश्चित करता है। यह प्रणाली हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से है। यह जन्म दिनांक,समय और स्थान का वास्तविक विवरण के आधार पर अपना कार्य करती है।
जीवन में दांपत्य जीवन की अवस्था सबसे अहम होती है। क्योंकि मनुष्य अपने जीवन का विस्तार जीवनसाथी के बिना नहीं कर सकता।
जीवन में पति-पत्नी का पवित्र रिश्ता ही जीवन में आधार का काम करता है। यह दो शरीरों का मिलन ही केवल नहीं है। यह दो आत्माओं का भी मिलन होता है।
प्रकृति का नियम भी यही है कि संसार में वही रिश्ते लंबे चलते हैं, जो आत्मा से निभाए जाते हैं।
शरीर तो नाशवान है और समय अनुसार अपना आकर्षण बदलता रहता है। लेकिन जब आप रिश्तो को अंदर बैठी आत्मा के साथ स्थापित करते हैं, तो आप दांपत्य सुख तथा दांपत्य जीवन को अपने पुरुषार्थ के लिए सहायक बना पाते हैं।
इस संसार में प्रत्येक प्राणी की अपनी एक प्रकृति अथवा स्वभाव होता है और उस स्वभाव के अनुसार ही वह जीवन में रिश्तों को विकसित करता है और उसी के आधार पर अपनी पहचान को स्थापित करता है।
प्रत्येक मनुष्य या स्त्री की प्रकृति का आपसी तालमेल बनता है, तभी रिश्तों को आत्मा से निभाने के गुणों में वृद्धि होती है।
अगर पुरुष और महिला के गुणों का आपसी तालमेल नहीं होता है, तो उनकी संतान विकृति पूर्ण जन्म लेती है। क्योंकि कुल की वृद्धि के लिए पुरुष और स्त्री के मानसिक व शारीरिक गुणों का मेल ही संतान का आचरण सुनिश्चित करता हैं।
सन्तान में मां-बाप में गुण होते हैं,और वही गुण संतान के शारीरिक व मानसिक व्यवहारिक रूप में हमें दिखाई देते हैं।
माता-पिता के गुणों की पहचान के लिए, ‘ज्योतिष के अनुसार’:- व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार ही कुंडली मिलान होता है।
अगर पुरुष और महिला के आपसी मानसिक व शारीरिक बोध का क्षेत्र एक दूसरे के प्रति मैत्री भाव रखें, तो जीवन में सरलता का उद्गम हो जाता है।
अगर उनके गुणों का आपसी विरोध हो, तो जीवन में पुरुषार्थ को सिद्ध नहीं कर पाते। क्योंकि दांपत्य जीवन का आधार दो आत्माओं के मेल से ही संभव है।
इन आठ मापदंडों द्वारा व्यक्ति की संपूर्ण पहचान की जाती है:-
- वर्ण, वश्य, तारा, योनी, मैत्री, गण, भकूट , नाड़ी।
- इन सभी मापदंडों का जोड़ 36 होता है।
- यह संख्या संपूर्ण गुणों को दर्शाती है।
- 36 में से 18 गुणों तक मिलने पर शादी का प्रावधान है। 18 गुणों से कम गुणों का मिलान उचित नहीं माना जाता है।
- 18 से 24 गुणों का मिलान साधारण स्तर।
- 24 से 30 गुणों का मिलान मध्य स्तर।
- 30 से 36 गुणों का मिलान उच्चतम स्तर।
- हमारी सनातन संस्कृति में इसी प्रणाली से जीवन साथी का चुनाव किया जाता है। कुंडली मिलान प्रणाली के अंतर्गत ही एक प्रणाली और भी समाहित की गई है जिसे अंक शास्त्र कहते हैं।
इस प्रणाली में अंको को आधार माना गया है।
इस प्रणाली में 9 तरह के स्वभावों का परिचय है। दांपत्य जीवन का आकलन अंकों के अनुसार किया जाता है।
- एक दुसरे के प्रति निर्माण क्षमता, विवेक क्षमता, नेतृत्व क्षमता।
- बच्चों को जन्म देने की क्षमता तथा वार्तालाप, सेवाभाव तथा पालन करना।
- ज्ञान ग्रहण करने की क्षमता तथा ज्ञान का प्रचार सामाजिक एवं पारिवारिक प्रतिष्ठा की पहचान।
- योजना बनाकर कार्य करने के गुण तथा सक्रिय अवस्था में पहुंचने के गुण।
- बच्चे पैदा करने तथा उर्जावान शरीर, वाणी क्षमता तथा व्यापारिक गुण।
- प्रबंधन के गुण, जीवन में भौतिक रस तथा भौतिक सुखो के प्रति जागरूक।
- भावनात्मक स्वभाव, एक दूसरे की भावनाओं को समझने की क्षमता।
- एक दूसरे को समझने की क्षमता तथा एक दूसरे के लिए बेहतरीन निर्णय।
- एक दूसरे के प्रति रक्षात्मक स्वभाव और त्याग के भाव। जीवनसाथी का चुनाव:- करते समय वर के जन्म दिनांक अनुसार तथा कन्या की जन्म दिनांक के अनुसार जोड़ द्वारा बने दोनों अंकों का आपसी मेल में बढ़ता है। वर और कन्या के अंकों की आपसी मित्रता एवं शत्रुता के आधार पर जीवन साथी का चुनाव होता है।
जैसे- 1 अंक का संबंध
- 1-अंक, मित्र- 2,3,4,5,6,7,9, शत्रु- 8, सम-1
- 2-अंक, मित्र- 2,5,1, शत्रु- 6, सम- 3,4,7,9,8
- 3-अंक, मित्र- 1,2,8,4, शत्रु- 6, सम- 3,5,7,9
- 4-अंक, मित्र- 7,6, शत्रु- 8, सम- 1,2,3,4,5,9,
- 5 -अंक, मित्र- 1,2,3,4,5, शत्रु-…., सम-6,7,8,9,
- 6-अंक, मित्र-1,5,4, शत्रु- 2,3, सम- 6,7,8,9
- 7-अंक, मित्र- 4,1,2,3,6, शत्रु-….., सम- 5,7,8,9
- 8 -अंक, मित्र- 3,4,6,7, शत्रु- 1, सम- 8,9,2,5
- 9-अंक, मित्र- 1,2,3, शत्रु- 8, सम- 4,5,6,7,9
इन दोनों पद्धतियों के अनुसार दोनो कुंडलियों का आकलन किया जाता है। इस सुविधा का शुल्क मात्र 200 रूपए प्रति मिलान पर, फिस जमा करने के बाद आपको परिणाम कि प्रति भेज दी जाएगी।
लड़के का विवरण-