मेधी कि लकड़ी का मुहूर्त का प्रयोजन है फसल पकने के बाद एक लकड़ी से बनी मेधी से फलियों कि कुटाई कि जाती है जिससे अनाज भूसी से अलग हो जाता है।इसको बनाने के लिए विशेष मुहूर्त का प्रावधान है। प्राचीन काल में फसल पकने से पहले इसको तैयार किया जाता था। आज के परिवेश में इस कि जगह मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसका प्रयोग आज भी होता है।
लकड़ी को तैयार करके अग्रिम भाग को अनाज की पोटली बांधे तथा द्रव्य चढ़ाकर पूजन करना चाहिए यह बनाकर पहले से ही रख सकते हैं जरूरत पड़ने पर काम में ली जा सके।
मेधी ( फसल निकालने की लकड़ी जिससे फलियों को पीटकर अनाज निकाला जाता है)
बरगद, गूलर, कदंब, बेरी ,सीहोर सेमर की लकड़ी ही प्रयोग मे लेनी चाहिए।
कैथ ,विल्व,बांस कि लकड़ी का प्रयोग हमेशा निषेध करना चाहिए।
मेधी बनाने के समय पर विचार:- मेधी बनाने का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है यही यंत्र मुख्य है अनाज निकालने के लिए इसको बनाने के लिए उचित समय का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि इसके निर्माण से संबंधी समय ही ज्योतिष पर आधारित है। इस समय में लकड़ी निर्माण के लिए समय, स्थिति, मौसम कि अवस्थाएं उचित मानी गई है।
मांस विचार:- पौष मास अधिक मास क्षय मास वर्जित है बाकी सभी मास उत्तम , लकड़ी मिलने पर बना सकते हैं ।
तिथि विचार:- १,२,३,५,६,७,८,१०,११,१२,१३,१५।
वर्जित तिथि:- रिक्ता, अमावस्या वर्जित है।
वार विचार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार।
वर्जित वार:– शनिवार मंगलवार वर्जित है।
नक्षत्र :- अश्विनी , मृगशिरा, पुनर्वसु,पुष्य, हस्त,चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती ये नक्षत्र मेघी बनाने के लिए उत्तम है।
इस मुहूर्त से संबंधित सभी जानकारियां यहां पर दी गई है इसके अलावा अगर आप मुहूर्त दिखवाना चाहते है तो नीचे दिए गए फार्म भरे। यह सुविधा सशुल्क हैं।
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