द्वार स्थापना मुहूर्त का प्रयोजन है जब भवन निर्माण करके चारदीवारी पर मुख्य द्वार बनाया जाता है,इसकी स्थापना कि जाती है प्राचीन काल से मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण को प्रमुखता दी गई है। मुख्य द्वार का महत्व भवन के द्वार से अधिक होता है इस लिए इसके निर्माण के लिए अलग से मुहूर्त का प्रावधान है।
इससे संबंधित वास्तु शास्त्र में नियम बताए गए हैं आप भी लाभान्वित हो सकते हैं।
नक्षत्र विचार :- अश्वनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य,उत्तराफाल्गुनी, हस्त,स्वाति, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, रेवती
ये शुम फलदायी नक्षत्र है।
तिथि विचार :- रिक्ता(४,९,१४)अमावस्या वर्जित है।
वार विचार :- रविवार, मंगलवार निषेध हैं।
द्वार चक्रानुसार
सूर्य संक्रांति के दिन नक्षत्र से वर्तमान दिन नक्षत्र तक गिरने पर
- 1 से 4 नक्षत्र गिनने – लक्ष्मी दायक- द्वार के शीर्ष पर
- 5 से 12 तक – नुकसानदेह-चारों कोणों पर
- 13 से 20 तक- सुख दायक -बाजु(शाखा)
- 21 से 23 तक- मृत्यु तुल्य कष्टकारी-देहली,चौगठ पर
- 24 से 27 तक -द्रव्य लाभ – मध्य भाग में।
इस मुहूर्त से संबंधित सभी जानकारियां यहां पर दी गई है इसके अलावा अगर आप मुहूर्त दिखवाना चाहते है तो नीचे दिए गए फार्म भरे। यह सुविधा सशुल्क हैं।
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