5 अक्टूबर 2024, शनिवार, तृतीय तिथि, अश्वनी माह, चैत्र माह।
नवरात्रि में तीसरे दिन मां दुर्गा का पूजन व अराधना मां चंद्रघंटा के रूप में किया जाती हैं। इनका स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके स्वरूप का ध्यान करने से मन में शांतिपूर्ण भाव विकसित होते है। तथा आलोकिक छवियों के दर्शन होते है तथा भक्त सद्गति को प्राप्त करते है।
इनके मस्तिष्क पर आधा चंद्रमा विराजमान होने पर चंद्र घंटा के नाम से विख्यात हुई हैं। इनके शरीर का रंग सुनहरा तथा चमकिला है। मां चंद्रघंटा के दस हाथ है ओर यह अपने हाथों में खड़ग,कमल का फुल तथा अन्य अस्त्रों शस्त्रों से विभूषित है।मां चंद्रघंटा कि स्वारी शेर हैं।
इनका यह स्वरूप राक्षसों तथा पिचासों के प्रति युद्ध के उद्दघोष को दर्शाता है। घंटे की ध्वनि से साकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। इनके नाम से हि नाकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती हैं। भक्त इनकी उपासना दुख से मुक्ति के लिए करते हैं तथा गाय केदुध से बनी वस्तुओं का भोग लगाकर माता को प्रशन करते हैं।
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विशेष :- दुख से मुक्ति के लिए मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीज़ों का भोग लगाएं।