!! दोहा !!
गजानंद को सुमर कर, धर सुरसति का ध्यान ।
बरनऊ खाटू श्याम यश, राखे सतगुरू मान।।
कष्ट हरण सब भय हरण, रखो भक्त की आन।।
!! चौपाई !!
जय श्री श्याम भक्त सुख दाता। तेरी महिमा है विख्याता ।।
कृष्ण के तुम हो अवतार । आये हरण भूमि का भार ।।
महावीर देवन हित्कारी । शुद्धि बुद्धि दो हे असुरारी ।।
कन्चन का तेरे छत्र विराजे । शीश मुक्ट गल पुष्पन साजे ।।
अहवति के पुत्र कहावो । दुष्टन के मन भय उपजाओ ।।
चतुराई कछु वरनि न जाये । बल का भेद कोई नहीं पाये ।।
तुम चण्डी के महान उपासक । सब दुष्टन के हो तुम नाशक ।।
लेकर रथ महा भारत आये । एक बाण से बल दिखलाये ।।
कृष्ण को सिर दिया दान में । पाया नाम तुम उसी मान में ।।
महाभारत तुम सकल निहारा । आखिर में कौरव कुल हारा ।।
जब तुम से सब न्याय कराया । किया फैसला सब मन भाया ।।
यदुवंशी ने करी बड़ाई । जो कोई तेरा गुण गाई ।।
सकल कामना हो सब पूरी । सही बात ये नहीं अधूरी ।।
इनद्रदिक ब्रह्मादि मुनिसा । सहस्र मुखन के और अहीसा ।।
कवि विशारद सुर नर नारी । गावें महिमा पावें न पारी ।।
तुम पांडन के ही हितकारी । देई जिताय लड़ाई भारी ।।
तुमने मदत बिजय की कीन्ही । उसने अनेक विभूति दीन्ही ।।
लिन्ही परीक्षा सब चकराया । पीपल पत्ते छेद दिखाया ।।
तब अचरज से सभी निहारा । दीखा सबने तेज अपारा ।।
कठिन काम जितने तग मांही । छिन में कर दिये अचरज नाहीं । ।
मर्यादा के हो तुम पालक । दुष्ट जनन के हृदय सालक ।।
शरण गहें से सब जावें । भूत प्रेत दूर सब जावें ।।
तुमसा तेज न है जग आना । तीन लोक में लोहा माना ।।
जो रहे श्याम-श्याम दिन राती । सकल अबिद्या झटमिट जाती ।।
रोग दोष सब मिटजाये तन से । करै ध्यावना सच्चे मन से ।। 8
दुविध्या से श्री श्याम बचावे | नित उठ गीत श्याम का गावे ।।
कृष्ण तक जाचक बन आये । उसका पार कौन नर पाये ।।
सकल मनोथ दायक कामा । भक्त जनन के सारे कामा ।।
युग-युग से महिमा चल आई । सुर नर मुनिजन सकल सराई ।।
सन्त दीन के हो रखवारे । हरो कष्ट जन तुम्हें पुकार
बांझन को तुम हो सुख दाता । तुमहीं हमारे हो पितु माता ।।
अतुलित शक्ति है तुम माहीं । जिसका भेद जाने अज नाहीं ।।
मुक्त होय तुम्हारा गुन नाहीं । चित चरण में ध्यान लगायें ।।
तुम्हारे जो कोई मन्दिर आवे । खीर चूरमा तुम्हें जिमावे ।।
होवे सकल कामना पूरी । श्याम नाम संजीवन पूरी ।।
जन्म-जन्म के दुख मिट जाई । जो सुमरे श्री श्याम गुसाई ।।
जय-जय श्याम खाटू के राजा । करहो कृपा तुम राखो लाजा ।।
जो यह पाठ करे सतवार कोई । ज्यां पर कृपा श्याम की होई ।।
छूटहिं बन्दी जीव सुख लहई । जो यह भक्त है दास तुम्हारा ।
बेड़ा करना पार हमारा ।।
!! दोहा !! दास जानकर कर दया, शरण लियो तिहार ।। बार बार मम विनती अब तो जरा निहार ॥
बोलो खाटू नरेश कि जय हो।