मास अनुसार भोजन श्रृंखला तथा विपरीत भोजन।

पृथ्वी लोक पर मानव शरीर इस प्रकृति के अनुसार हि बना ही। जो प्रकृति कि क्रिया बाह्य जगत में धटित है वहीं क्रिया आंदरूनी जगत में भी धटित होती है। जब मोसम के विपरीत स्थिति बनती है तो वह प्रकृति को निसंदेह हानि पहुंचाने का काम कर रही होती हैं। जिसका सिधा असर फसलों तथा अन्य पैदावारों पर पड़ता है।

यही विषय हमारे शरीर के साथ भी होता है।अगर हम मोसम के अनुसार अपनी आहार श्रृंखला को चुनते  स्वास्थ्य में वृद्धि तथा शरीर ऊर्जावान बना रहता है।ओर बिना कोई नियम के भोजन करते है तो शरीर में रोग कि बृद्धि को देखते है। फल सदा मोसम अनुसार सेवन करने चाहिए।आयुर्वेद के  नियमानुसार कोनसे मास मेंक्या खाना चाहिए क्या नही खाना चाहिए।

1. चैत्र मास में गुड़़ तथा चीनी को नही खाना चाहिए।लेकिन सुबह भिगे हुऐ चने तथा शाम को भुने हुऐ चने खा सकते है।

2. बैशाख के महीने में तली हुई चिजों का सेवन पेट कि बिमारियों कि भरमार ला सकता है।बेल का रस खांड मिलाकर पिने से शरीर में अमृत का काम करता है

3. ज्येष्ठ मास में राई का सेवन खून कि बिमारियों को पैदा करता है। वैसे तो दिन में सोना निषेध है लेकिन इस महीने में दोपहर के भोजन के बाद बीस मिनट सोना चाहिए पाचनतंत्र ठीक रहता है।इस मास के अलावा दिन में नहीं सोना चाहिए।

4, आषाढ़ मे बेल का त्याग करना चाहिए। सुबह शाम खेलना जरूर चाहिए।

5. श्रावण मास मे नीबु रस तथा दुध पाचनतंत्र को बिगाड़ता है। जौ हरड़ खाने से शरीर कि गंदगी बाहर निकलती है तथा पाचक रसों में बृद्धि होती है।

6. भाद्रमास में दहि दुध से दुरी बनाकर रखें।तिखा तथा कड़वा भोजन करना चाहिए।

7 . आसोज अश्विन मास में करेला नही खाना चाहिए।गुड़ का सेवन करना लाभकारी होता हैं।

8. कार्तिक मास में खटाई तथा दही का सेवन निषेध है लेकिन आंवला अमृत सम्मान है।

9. मार्गशीर्ष मास में जीरे का सेवन निषेध है।अजवाइन को प्रयोग में लाए।सरसों का तेल तथा घी का सेवन लाभदायक होता है।

10. पोष महिना धनिया नही खाना चाहिए शीत रोग बढाता है।दुध अमृत सम्मान होता हैं।

11. मार्गशीर्ष मास में मिश्री, चीनी का सेवन नही करना चाहिए। घी खिचड़ी का सेवन लाभकारी होता है।
12. फाल्गुन मास में चने तथा बेसन नहीँ खाना चाहिए। बिना नहाए ना रहें। प्रातः काल नहाना चाहिए।

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