भूमि अधिग्रहण या खरीद के मुहूर्त का प्रयोजन जमीन को खरीदने अथवा खरीदि हुई भुमि पर अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए उचित समय का चयन करना।
जिस दिन आपको भुमि का स्वामित्व ग्रहण करना हो तथा रजिस्ट्रेशन करवाना हो उसके लिए इस मुहूर्त का प्रावधान है।
चंद्रमा विचार:- स्वयं के नाम कि राशि से चंद्रमा चौथा छठा आठवां बारहवां नहीं होना चाहिए।
तिथि विचार:- ४,९,१४ रिक्ता तिथि,अमावस्या,होलाष्ट, श्राद्ध पक्ष, क्षय तिथि, सावड़ सूतक।
शुभवार:- सोमवार ,शुक्रवार, गुरुवार, रविवार ।
शुभ नक्षत्र:- अश्वनी ,भरणी, मृगशिरा, पुष्य, आश्लेषा, पूर्व फाल्गुनी ,हस्त, चित्रा, स्वाति अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्व भाद्रपद उत्तर भाद्रपद, रेवती, इसके अलावा मिश्र संज्ञक (विशाखा, कृतिका) नक्षत्रों में भुमि खरीद सकते हैं।
भूमि शयन अवस्था विचार:- मुहूर्त के साथ-साथ भुमि कि अवस्था पर भी ध्यान करें। धरती सोई हुई है या जागृतावस्था मे है। (सुर्यसंक्रांति के नक्षत्र से ५,७,९,१५,२१,२४ वें नक्षत्र को धरती सोई हुई होती हैं।)
जिस दिन धरती सोई हुई हो उस दिन भुमि से संबंधित अधिग्रहण,नव निर्माण, नींव खुदाई वर्जित हैं।
श्राद्ध में दान करने के लिए भुमि खरीदी जा सकती है और खरीद कर दान कर सकते हैं।
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इस मुहूर्त से संबंधित सभी जानकारियां यहां पर दी गई है इसके अलावा अगर आप मुहूर्त दिखवाना चाहते है तो नीचे दिए गए फार्म भरे। यह सुविधा सशुल्क हैं।
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