बीज बोने के मुहूर्त का प्रयोजन है उचित समय पर भुमि में बीज का संचय करना।और इसके लिए हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा उचित समय का चुनाव किया गया है आप इन नियमों का पालन करके लाभ ले सकते हैं।
बीज बोना यानी कि नये जीवन की शुरूवात बड़े उत्साहपुर्वक प्रकृति कि पुजा करके शुरुआत कि जाती हैं।
इस मुहूर्त का महत्व गर्भधारण संस्कार मुहूर्त के बराबर है।
चंद्रमा विचार:- बीज बोते समय किसान कि राशि से चंद्रमा ४,६,८,१२वां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र :-vअश्विनी ,भरणी , कृतिका , रोहिणी , मृगशिरा ,आर्द्रा ,पुष्य ,आश्लेषा, मघा , पूर्वाफाल्गुनी , उत्तराफाल्गुनी ,हस्त , चित्रा , स्वाति ,अनुराधा , ज्येष्ठा , मूल , पूर्वाषाढ़ा , उत्तराषाढा, धनिष्ठा , पूर्वाभाद्रपद , उत्तराभाद्रपदा ,रेवती ।
वर्जित नक्षत्र :– श्रवण, शतभिषा, पुनर्वसु, विशाखा ।
शुभ वार:- रविवार,सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार ।
बीज बोने के लिए मंगलवार को शुभ नही माना जाता है।
निषेध समयावधि :- श्राद्ध पक्ष,होलाष्टक समय किसी भी तरह से बीजारोपण निषेध है।
शुभ तिथि :- १,२,३,५,६,७,८,१०,११,१२,१३, पुर्णिमा ।
वर्जित तिथि :- बीजारोपण के समय तिथि ४,९,१४ और अमावस्या तिथि को छोड़ कर सभी तिथियां शुभ मानी गई हैं।
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इस मुहूर्त से संबंधित सभी जानकारियां यहां पर दी गई है इसके अलावा अगर आप मुहूर्त दिखवाना चाहते है तो नीचे दिए गए फार्म भरे। यह सुविधा स शुल्क हैं । आप अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दे।
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