बाल कटवाने के मुहूर्त का प्रयोजन हमारे स्वास्थ्य से संबंधित होता है। उचित समय पर किया गया कार्य हमेशा अच्छे परिणाम देता है। इस मुहूर्त में बाल कटवाने का समय तथा महत्व के बारे में जानकारी दी गई है।
शुभ चंद्रमा :- ४,६,८,१२वां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र:- अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाती, ज्येष्ठा, श्रवण,घनिष्ठा, शतभिषा, रेवती।
शुभ वार :- रविवार, सोमवार, बुधवार, शुक्रवार।
शुभ तिथि :- २,३,५,७,१०,११,१३ ये तिथियां शुभ होती हैं।
उत्तराभिमुख ,पुर्वा भिमुख होकर बाल कटवाने चाहिए ।
रिक्ता (४,९,१४) छठ, अष्टमी,,अमावस्या को हजामत तथा स्त्री रमण तथा तेल मालिश करना मृत्यु निमंत्रण बताया गया है।
तीन क्रियाओं के बाद स्नान अनिवार्य है। स्त्री रमण, हजामत करने के बाद, और अंतिम संस्कार क्रिया में शामिल होने के बाद स्नान अवश्य करें।
हजामत करवाने के नोवें दिन हजामत नही करवानी चाहिए। अशुभ फलदाई होती है।
भोजन करने से पहले तेल मालिश करने से पहले स्नान करने से पहले और भूषण आदि पहनकर बाल कटवाना या हजामत करवाना निषेध है।
श्राद्धपक्ष, व्रत के दिन,अनुष्ठान के मध्य, नवरात्रि पर्व, श्रावण मास में,यात्रा के मध्य, युद्ध आरंभ होने पर,रात्री में, दोनो संध्याओं में ,वघृति योग में, जन्म नक्षत्र वाले दिन निषेध करे।
राज कर्मचारियों के लिए तथा रूप जीवियों ( भांड,नट ) तथा किसी कलाकार को दाढ़ी आदि बनवाने तथा नाखून काटने आदि में कॉल शुद्धि या अन्य कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है।
माता पिता की मृत्यु होने पर बंद मोक्ष में यज्ञ करवाने पर ब्राह्मण की आज्ञा से किसी भी समय बाल कटवा सकते हैं।
गर्भवती स्त्री वाले पुरुष को, पिंड दान, सब प्रकार के प्रेत क्रमों में मुंडन नही करवाना चाहिए ।
मुहूर्त निकलवाने के लिए नामाकन करे-