यात्रा में योगिनी विचार।

प्रतिपदा और नवमी को योगिनी पुर्व दिशा मे रहती है।
तृतीया और एकादशी को योगिनी आग्नेय कोण मे रहती हैं।
पंचमी ओर त्रयोदशी के दिन योगिनी दक्षिण दिशा में रहती है।
चतुर्थी ओर द्वादशी के दिन योगिनी नैऋत्य दिशा मे रहती हैं।षष्ठी ओर चतुदर्शी के दिन योगिनी पश्चिम दिशा मे रहती है।
सप्तमी। ओर पुर्णिमा के दिन योगिनी व्यावय दिशा मे रहती है।
द्वितीय ओर दशमी तिथि को योगिनी उत्तर दिशा मे रहती है।
अष्टमी ओर अमावस्या ईशान दिशा मे रहती है।

अगर योगिनी बाई तरफ हो तो सुखदायी होती है।
अगर योगिनी पिछे हो तो कार्य मे सिद्धि देने वाली होतीं हैं।अगर यात्रा के समय योगिनी दाई तरफ हो तो धन का नाश करने वाली होती है।
अगर योगिनी यात्रा करते समय सन्मुख हो तो मृत्यु तुल्य कष्टकारी होती हैं।

यात्रा मे चंद्रमा विचार। (सम्मुख)