यात्रा मे राहु वास विचार।

दिन में क्रमस सुर्योदय समय से
राहु ३ ३/४ घड़ी पूर्व दिशा में रहता है।
उसके बाद फिर राहु ३ ३/४ घड़ी व्यावय दिशा में रहता है। उसके बाद
फिर राहु ३ ३/४ घड़ी दक्षिण दिशा में रहता है उसके बाद
फिर राहु ३ ३/४ घड़ी ईशान दिशा में रहता है उसके बाद
फिर राहु ३ ३/४ घड़ी पश्चिम दिशा में रहता है उसके बाद
फिर राहु ३ ३/४ घड़ी आग्नेय दिशा में रहता है उसके बाद
फिर राहु ३ ३/४ घड़ी उत्तर दिशा में रहता है उसके बाद
फिर राहु ३ ३/४ घड़ी नैऋत्य में रहता है ।
इस प्रकार राहु 30 घड़ी दिन में तथा 30 घड़ी रात्रि में इन दिशाओं में विचरण करता है।
यात्रा के समय दाई तरफ का राहु शुभ।बाई तरफ तथा सन्मुख दिशा का राहु अशुभ फलदायी होता है। पीठ पिछे राहु शुभ फल दाई होता हैं।

राहु काल पाश विचार
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार ,शुक्रवार, शनिवार को उत्तर ,ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण , नैऋत्य, पश्चिम,व्यावय आदि दिशाओं में बाई और गिरने से कर्म से काल जानना चाहिए।
उसी काल के सामने अर्थात उससे पांचवा पाश होता है। रात्रि में विपरीत गणना होती है।
अर्थात काल के स्थान में पाश, पाश के स्थान में काल होता है।
यात्रा तथा युद्ध में सन्मुख काल या पास वर्जित होता है ।तथा दक्षिण काल और बाई और का पाश शुभ फलदाई होता है।

यात्रा मे कुलिक योग का विचार।