चंद्रमा स्थिति।


चंद्रमा हमारे मन की चंद्रमा की अवस्था ब्रह्मांड के आवरण में चंद्रमा की स्थिति हमारे मन की स्थिति को दर्शाता है।
भ्रमण के दौरान अलग-अलग राशि परिवर्तन के अनुसार मनोस्थिति पर भी परिवर्तन आता है।

12 भावों के अनुसार मनोस्थिति भी 12 प्रकार के विचारों पर अपने-अपने समय में प्रभावित रहती है।
चंद्रमा स्वयं की राशि से ४, ६, ८,१२वें भाव में नहीं होना चाहिए।
जब चंद्रमा अपने से चौथे, छठे, आठवें, बारहवें भाव के स्वामी के साथ गोचर में संयोग करता है तब भी इस स्थिति में भी इन भावों का प्रभाव रहता है ।


प्रथम चंद्रमा स्वयं पर तथा शरीर की कल्पना में सहायक। नवजात शिशु में अवचेतन मन कि उत्पत्ति तथा कल्पना करके मन के आवरण को विकसित करने का कारक है। प्रथम चंद्रमा व्यक्ति को ठंडी रश्मियों से प्रकाशमय रखता है। अपने पुर्वजों के आशिर्वाद से अस्तित्व को धारण किया है।

परमात्मा की सृष्टि में अस्तित्व को स्वीकृति का कारक है प्रथम चंद्रमा । काल पुरुष कि मनोस्थिति के अनुसार प्रकृति का उद्गम हुआ चंद्रमा मन का कारक है कल्पना का भाव स्वयं पर ही कार्यरत्त रहता है।

स्वयं कि राशि से दुसरे भाव में चंद्रमा का प्रभाव वाणी पर रहता है चंद्रमा दूसरा वाणी में कल्पनाएं प्रदान करना तथा बोलने में सहायक है। जो मन में उत्पन्न किया है उसे वाणी कि अगुवाई में संसार के सामने प्रकट करने कि क्षमता को विकसित करता है। वाणी का अभ्यास और उसमें मनभावन आकर्षण का निर्माण करना तथा वाणी में पवित्रता बनाए रखना तथा सिद्ध वाणी कि अनुभूति का कारक भी दुसरे भाव में चंद्रमा से अनुभवित होता है।

तीसरा चंद्रमा स्वयं के पराक्रम की शुरुआत और कार्य करने की क्षमताओं का विस्तार। साहस और आत्मविश्वास कि वृद्धि का कारक माना गया है तीसरा चंद्रमा। बाहरी आवरण का निर्माण तथा शारीरिक क्षमताओं का विस्तार तीसरे चंद्रमा कि अवस्था में विकसित होता है।

चौथा चंद्रमा चलना सिखाने में सहायक मां के साथ गहरा संबंध, क्योंकि जिसने बनाया है उसका पूर्ण अधिकार है। हमारे अंश मात्र पर भी। चौथा चंद्रमा उनसे दूरी को भी दर्शाता है। इसलिए इस भाव। अवस्था को अच्छा नहीं माना जाता।

पांचवा चंद्रमा ज्ञान और विद्या की कल्पना में सहायक। कैसे निर्माण किया जाए, वह सारी कल्पना पांचवें चंद्रमा से देखी जाती है पांचवा चंद्रमा गर्भधारण को भी दर्शाता है। पांचवा भाव शिक्षा ग्रहण को दर्शाता है। यौवन और ऊर्जा को दर्शाता है। वाणी के अभ्यास को दर्शाता है। ज्ञान ग्रहण करने कि क्षमता का विस्तार होता हैं। पांचवा चंद्रमा शिक्षा में निपुणता को दर्शाता है। पांचवा चंद्रमा रोजगार कि प्राप्ति का कारक माना गया है।

छठा चंद्रमा परिश्रम की प्राप्ति से असंतुष्ट भावों में वृद्धि का कारक माना गया है। छठा चंद्रमा उपकारों को व चोरी की कल्पना, जब वस्तु की प्राप्ति ना हो, तो उसे गलत तरीके प्राप्त करने के विचारों का आगमन छठे चंद्रमा में रहता है । अपने पुरुषार्थ को कमजोर करने वाला, कर्ज मांगने के भाव इसलिए छठा चंद्रमा अशुभ माना जाता है।

छठा चंद्रमा मामा और किसी के अधीन कार्यरत रहना, नौकरी तथा कर्ज चुकाने कारण पैसे की प्राप्ति, जो कर्ज के रूप में लिया जा रहा है। चंद्रमा छठा हो, तो बेईमानी से कर्जा या किसी को झूठ बोलकर पैसा लेने के भावों में वृद्धि रहती है। चंद्रमा छठा हो, तो कर्ज़ ना ले। जो भी कर्जा छठे चंद्रमा में लिया जाता है वह मुश्किल से चुकाया जाता है।उसका सदुपयोग किया जाए, तो वह रोजगार के अवसर पैदा करता है। अन्यथा मानसिक तनाव में वृद्धि करता है।

7 सातवां चंद्रमा जीवनसाथी तथा साथी की आयु तथा अपने आप को प्रस्तुत करने की कल्पनाओं में वृद्धि रहती है ।सातवा चंद्रमा प्रतिस्पर्धा तथा अपने आप को स्थापित करने के भावों में वृद्धि रहती है। किसी नए कार्य को शुरू करने के लिए, गर्भाधान के लिए, नए संबंधों के लिए तथा गोचर में चुनौतियों के लिए तथा अपने आप को सहायक के रूप में स्थापित करने के लिए अर्ध अवस्था है । भय चक्र की तो इसमें मन के अंदर निर्णय लेने पर भ्रम की स्थिति बनी रहती है।

इस अवस्था में पूरी तरह से जानकारी लेकर ही निर्णय लेना चाहिए । नए उद्योग तथा नये व्यवसाय से संबंधित कार्य सातवें चंद्रमा में लाभकारी होते हैं।

8 आठवां चंद्रमा प्रारब्ध के स्वरूप अवचेतन मन को टटोल रहा होता है । व्यक्ति गुप्त रहस्यों तथा जानकारियों के विचारों से प्रभावित रहता है । भूमि के अंदर की जानकारियां बाहर आठवी चंद्रमा में ही संभव है । आठवें चंद्रमा को प्रारब्ध के फलों के लिए भी कारक भाव माना जाता है। इस स्थिति में ध्यान से संबंधित तथा कठिन परिश्रम को दर्शाता है। आठवी चंद्रमा में नए कार्य अशुभ फलदाई होते हैं।

क्योंकि आंठवे चंद्रमा के समय हमारे मनोस्थिति अवचेतन मन के अनुसार कार्य कर रही होती है। बाहरी आवरण के प्रति रुचि कम होती है।आठवें चंद्रमा में गहरे ज्ञान की प्राप्ति के लिए माना जाता है क्योंकि आठवे चंद्रमा की स्थिति हमारे मन में निर्णय लेने के भावों में भी वृद्धि करता है।नए सभी कार्यों के लिए वर्जित माना गया है।

नौवा चंद्रमा भाग्य का कारक, माना गया है। इस समय हमारी कल्पनाएं अपने आपको प्रकृति की सहायक बनने के भावों में वृद्धि रहती है। किसी की सहायता करने के भावों में वृद्धि रहती है।


धैर्य का ज्ञान इसी अवस्था में पोषित होता है। आधे पड़ाव के बाद आठवां भाव अपने आप को आकलन करने का है। उसके बाद निष्कर्ष निकलता है।दिन भर की कमाई का और उसमें से दूसरों की सहायता के लिए हिस्सा निकलता है। धैर्य को धारण करने का ज्ञान नोवे चंद्रमा के समक्ष अति उत्तम होता है। इस अवधि में दान सार्थक व्यक्ति को मिलने की संभावना ज्यादा होती है। क्योंकि मन में सहायता करने के भावों में वृद्धि रहती है।वास्तविक धन लाभ और ऐष्वर्य को दर्शाता है।
इस भाव में जो लोग बैठे हो, तो उनसे संबंधित रिश्ते आपके ऐष्वर्य के कारक होते हैं। उनको जोड़कर रखें।

दसवां चंद्रमा कर्म क्षेत्र को विकसित करने में दर्शाता है। नए उद्योगों को तथा अपने अस्तित्व को वृद्धि करने के भावों में वृद्धि करता है।अपने कार्य क्षेत्र को विकसित करने के भाव तथा अपने पूर्वजों का नाम करने का अवसर भी दसवां चंद्रमा ही देता है।पिता के साथ संबंधों को जितना सुलभ और उनके प्रति समर्पित रखोगे, उतना ही अपनी अंदरुनी क्षमताओं को विकसित कर पाओगे।

इस स्थिति को पराक्रम स्थापित करने की स्थिति भी कहा गया है। इस अवधि में उत्साह वृद्धि रहता है। इस समय किया गया कार्य पूरी कार्य क्षमता से किया जाता है। चेतन मन चंद्रमा की स्थिति से प्रभावित रहता। योजनाओ पर कार्य करने की क्षमताओं में वृद्धि रहती है। दसवां चंद्रमा का पुरुषार्थ और पराक्रम का कारक माना जाता है। दसवां चंद्रमा गर्भधारण के लिए भी उत्तम माना जाता है।

सभी कार्य शुभ फलदाई होते हैं, इस अवधि में।

ग्यारहवा चंद्रमा लाभ और आप से संबंधित विचारों का गमन ज्यादा रहता है। रात्रि काल में सोने से पहले का समय होता है, जो अपनी आय को सोचने के बारे में विचारशील है। हम अपने जीवन से कितना संतुष्ट हैं? जो हमें मिल रहा है, उसके विचारों का समय होता है। दिन काल में जो मिल रहा है, उसका पूरा लेखा-जोखा तथा उनकी कल्पनाओं से संबंधित होता ग्यारहवा चंद्रमा।
आय के साधनों तथा व्यापारिक लाभ पर विचारशील रहता है ग्यारवा चंद्रमा। आनंद की अनुभूति होती है ग्यारहवें चंद्रमा में। इस अवधि में की गई बचत लाभकारी होती है।
व्यक्ति को अपने दायित्वों के भावों में वृद्धि भी ग्यारहवें चंद्रमा की समय अवधि में अधिक रहती है। मिले हुए सुख साधनों को भोगने का भाव भी वृद्धि में रहता है।

बारहवां चंद्रमा खर्च करने के भावों को तथा गहरी नींद के भावों को दर्शाता है। लंबी यात्राओं के विचार बारहवें चंद्रमा की देन होती है। दूरी का कारक तथा जन्म स्थल पर खर्च तथा विदेश से धन आगमन के भावों को भी दर्शाता है। किसी भी कार्य को बाद में करने के भावों में वृद्धि रहती है। इस अवधि में हमें प्राप्ति नहीं हो पाती, क्योंकि यह वह स्थिती है जब व्यक्ति गहरी नींद में होता है। उसे कुछ कहने का कोई फायदा नहीं। कार्यालय बंद होने का समय होता है। समय पर कार्य न करने के भावों में वृद्धि तथा पश्चाताप के भावों में वृद्धि रहती है। इसे कर्ज चुकाने के लिए उत्तम माना जाता है। लिया हुआ कर्ज इस अवधि में चुकाया जाए, तो व्यक्ति की पुरुषार्थ क्षमता बदलती है।

बारहवीं भाव खर्च का होता है और आप जितना खर्च करते हैं, उतना ही यह भाव फल देता है। इस अवस्था में खर्च करने के भावों में वृद्धि रहती है। जब हम मेले में पैसे लेकर घूमते रहे और जब बाजार बंद होता दिख, तो हड़बड़ाहट में पैसे खर्च कर दिया और वस्तुओं को बिना योग्यता देखे ही खरीद लिया।इस अवधि में खर्च नियमित रखें। लेकिन पैसा आपको पुराना कर्ज चुकाने के काम में लेते हैं, तो आपकी क्षमताओं में विस्तार होने लगता है। कर्ज वान नहीं है, तो बचत पर विचार करें।
इस अवधि में कर्जा चुकाना चाहिए, लेना नहीं चाहिए।इस अवस्था को भी शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है।