नक्षत्र एवं ग्रह पुजा वृक्षों के अनुसार।

ज्योतिष के अनुसार 9 ग्रह,12 राशियां , 27 नक्षत्रों का प्रभाव मानव जीवन तथा पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो तथा वनस्पति में पेड़-पौधों पर रहता है । भचक्र में पुरे आकाश को 27 नक्षत्रों में और 27 नक्षत्रों को 12 राशियों में विभाजित किया गया है ।

360 डिग्री को बारह भागों में राशियों के अनुसार विभाजित किया गया है। प्रत्येक राशि में स्वा दो नक्षत्रों का समावेश होता है। एक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरण का एक अक्षर सुनिश्चित किया गया है जिसके अनुसार व्यक्ति का नाम सुनिश्चित होता है।


प्राचीन काल में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 33 देवताओं के अनुसार ही नक्षत्रों का वर्णन किया जाता था। कालांतर में नक्षत्रों कि पुजा भी देवताओं के अनुसार ही कि जाती थी। देवताओं कि पुजा अर्चना में प्राचीन काल से ही वनस्पतियों को प्रमुख स्थान दिया गया है और वनस्पतियों को पुजा गया है।


इसके अतिरिक्त ग्रहों के दोषों को वनस्पतियों के द्वारा दूर करने के प्रमाण भी मिलते रहे हैं।
इसी संदर्भ में नक्षत्रों के अनुसार वनस्पतियों के नाम सुनिश्चित किये गए।

व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता है उसके अनुसार ही व्यक्ति का नाम सुनिश्चित होता है। जीवन में जो नक्षत्र जन्म नक्षत्र होता उसके अनुसार वृक्षारोपण तथा उस वृक्ष का फल ग्रहण करना एक नई ऊर्जा को प्रदान करता है। तथा आतंरिक क्षमता में विस्तार करता है।

नक्षत्रों के माध्यम से भी ग्रहों के कुप्रभाव को सही किया जासकता है। जो ग्रह दूषित अथवा कमजोर हो उस ग्रह से संबंधित नक्षत्र के अनुसार वृक्षारोपण करने से भी ग्रह शांति होती। यह पद्धति हमारे प्राचीन ज्योतिषिय उपचारों में देखने को मिलती हैं। लेकिन आज के समय में ज्योतिषी जातक को वहीं उपचार बताते हैं जिनमें उनका निजी स्वार्थ होता है।

कोई भी व्यक्ति अपने नक्षत्र के अनुसार वृक्षारोपण, पूजा-अर्चना तथा फलों को ग्रहण करके अपने दोषों को दूर कर सकता है।
यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा तथा फल दान करने से पीड़ा से राहत मिलती है। आइए जानते हैं

नक्षत्रों के अनुसार वृक्षों के नाम।

  • अश्विनी नक्षत्र :– केला, आक, धतूरा।
  • भरणी नक्षत्र :– केला, आंवला।
  • कृतिका नक्षत्र :– गूलर ।
  • रोहिणी नक्षत्र :– जामुन ।
  • मृगशिरा नक्षत्र :– खैर।
  • आर्द्रा नक्षत्र :– आम, बेल ।
  • पुनर्वसु नक्षत्र :– बांस ।
  • पुष्य नक्षत्र :– पीपल ।
  • आश्लेषा नक्षत्र :– नाग केसर और चंदन।
  • मघा नक्षत्र :– बड़।
  • पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र :- ढाक।
  • उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र :- बड़ और पाकड़।
  • हस्त नक्षत्र :– रीठा।
  • चित्रा नक्षत्र :– बेल
  • स्वाति नक्षत्र :– अर्जुन।
  • विशाखा नक्षत्र :– नीम।
  • अनुराधा नक्षत्र :– मौलसिरी।
  • ज्येष्ठा नक्षत्र :– रीठा।
  • मूल नक्षत्र :– राल का पेड़।
  • पूर्वा षाढ़ा नक्षत्र :– मौलसिरी/जामुन।
  • उत्तराषाढ़ा नक्षत्र :– कटहल।
  • श्रवण नक्षत्र :– आक।
  • धनिष्ठा नक्षत्र :– शमी और सेमर।
  • शतभिषा नक्षत्र :– कदंब।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र :– आम।
  • उत्तराभाद्रपद नक्षत्र :– पीपल और सोन पाठा।
  • रेवती नक्षत्र :– महुआ।

इन वृक्षों कि पूजा करने से तो नक्षत्रों का दोष दूर होता ही है। लेकिन इसके अलावा प्रतिदिन इन पेड़ों के दर्शन करने से भी लाभ मिलता है। आपको यह जानकारी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं तथा इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमें मैसेज भेजे।

वास्तु सलाह।