गोचर शब्द का शाब्दिक अर्थ। गो शब्द से अभिप्राय है ब्रह्मांड और चर से अभिप्राय चलायमान
अर्थात ब्रह्मांड में विचरण कर रहे ग्रहों की स्थिति को गोचर कहा गया है।
ब्रह्मांड में जो ग्रह तथा उपग्रह रूपी पिंड विचरन कर रहे हैं उनकी स्थिति को गोचर कहा गया है।
फलित ज्योतिष तथा मुहूर्त प्रकरण में गोचर की अहम भूमिका होती है। जब कुंडली का फलादेश किया जाता है तो उसमें जन्म कुंडली की स्थिति के साथ-साथ गोचर की स्थिति का भी विश्लेषण किया जाता है।
जब कोई कार्य किया जाता है, तो उसे समय लग्न कुंडली का निर्माण करके गोचर की स्थिति के अनुसार निर्णय लिया जाता है।
कुंडली का विश्लेषण करते समय जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों का स्वभाव कब प्रभावित होगा यह पुष्टि गोचर उस स्थिति के अनुसार होती है।
गोचर के ग्रह-नक्षत्र एक नियमित गति के अनुसार विचरण करते हैं तथा वह अपनी नियमित धुरी पर अपनी कक्षाओं में विचरण करते हैं प्रत्येक ग्रह या उपग्रह अपनी कक्षाओं में नियमित समयावधि के अनुसार स्थितियों का निर्माण करते हैं और ज्योतिष शास्त्र में इन्हीं स्थितियों के अनुसार संसार में प्राकृतिक आपदाओं तथा प्राणियों के जीवन कि घटनाओं का आंकलन किया जाता है।