गृहारंभ में लग्न शुद्धि विचार :-
स्थिर लग्न मे सिंह लग्न वर्जित है तथा द्विस्वभाव लग्न मे स्थिर प्रथम काल का समय हि ले। वृष,मिथुन, कन्या, वृश्चिक, धनु, कुंभ मीन।
बारहवे ओर आंठवे भाव मे पाप ग्रह नही होने चाहिए।
तीसरे, छठे ओर ग्यारहवे भाव मे पाप ग्रह होने पर भी शुभ फल दायी होते हैं।
अशुभ फलदायी लग्न
चर लग्न वर्जित है
आचार्यों के मतानुसार:-
- मेष लग्न यात्रा कारक
- कर्क लग्न नाश कारक
- तुला लग्न व्याधि कारक
- मक्कर लग्न धान्य नाशक
- गृह निर्माण के समय लग्नेश अस्त नही होना चाहिए।
- लग्न में मंगल तथा सुर्य का नवांश नहि होना चाहिए ।
- चर लग्न या चर लग्न का नवांश विशेष वर्जित हैं।
नव निर्माण के लिए नक्षत्र विचार:-