जय सिया राम।
11 अक्टूबर , शुक्रवार, नवमी तिथि शुक्ल पक्ष अश्विन माह।
नवरात्र के नोवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप का पूजन किया जाता हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री संसार में सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली है। इस लिए इनका नाम सिद्धि दात्री विख्यात हुआ।
मां का स्वरूप-
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। कमल पुष्प शांत चित्त से गहरे ध्यान का प्रतीक है।एक भुजा में गदा लिए हुऐ हैं। एक भुजा में चक्र धारण किये हुए है। इनके इस स्वरूप का ध्यान करने से सभी प्रकार के भय समाप्त होते है। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।
नवरात्र के अंतिम दिन (नो दिन तक क्रमशः माताओं की पूजा करने के पश्चात) इनकी पुजा सिद्धि देने वाली होती है।
नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी विशेष उपासना की भी कि जाती है। इसके अलावा इनका ध्यान मात्र भी सिद्धि दायक है। नवरात्र में नोवा दिन तो इनका विशेष पूजन होता हि है।
लेकिन इसके अलावा माता कि उपासना ओर विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। सृष्टि में कोई ऐसा वरदान नही जो ये अपने भक्तों को ना दे सके। माता के इस स्वरूप का ध्यान सच्चाई से लगाया जाय तो माता अपने उपासक को संसार कि सभी सिद्धियां प्रदान करने का सामर्थ्य रखती हैं।
अष्ट सिद्धियो के नाम अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
नवरात्र मे अष्टमी तथा नोवी तिथियों को कन्याओं को भोजन करवाया जाता हैं। तथा इनका भी पूजन माता के रूप में किया जाता है।
माता को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। भक्त इनको भोग लगाकर प्रसन्न करते है।
विशेष :- सुख-समृद्धि के लिए मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं।
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