जलवा पुजन (कुआं) मुहूर्त का प्रयोजन बच्चे के जन्म के बाद मां पहली बार घर से बाहर जाकर कुंआ पुजन करती है। यह परम्परा प्राचीन काल से अनुसरण कि जाती है इसका मुख्य उद्देश्य है कि जल देवता का पूजन करना। इस मुहूर्त में बच्चे कि माता के नाम से चंद्रमा का विचार किया जाता है।
इसके लिए कम से कम एक से सवा महीने का समय होना चाहिए। क्योंकि बच्चे के जन्म समय मां का शरीर कमजोर पड़ जाता है और उसे भरपाई के लिए एक महिने का समय तो लगता ही है।
इस दिन बच्चे के मामा के घर से उपहार तथा मिठाई तथा बच्चे के लिए वस्त्र, खिलौने लाएं जाते हैं। इसको क्षेत्रीय भाषा में छूछक कहा जाता है।
इस दिन सामुहिक भोज कि परम्परा भी है यह इच्छा अनुसार होता है।
इस मुहूर्त के लिए बच्चे कि मां तथा बच्चे के चंद्रमा पर विचार किया जाता है।
शुभ तिथि :- रिक्ता तिथि(4,9,14) तथा अमावस्या को छोड़ कर सभी तिथि शुभ है।
शुभवार :-सोमवार, शुक्रवार को छोड़कर सभी वार शुभ है स्नान के लिए।
शुभ लग्न :- मेष,कर्क,तुला,मक्कर इन लग्नो को छोड़ कर सभी लग्न शुभ है। द्वेष भाव लग्न में भी चर का समय छोड़ दें।
चंद्रमा की शुद्धि ,लग्न शुद्धि की।
इस मुहूर्त से संबंधित सभी जानकारियां यहां पर दी गई है इसके अलावा अगर आप मुहूर्त दिखवाना चाहते है तो नीचे दिए गए फार्म भरे। यह सुविधा सशुल्क हैं।
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