यात्रा मे सिद्ध योग।
तिथि वार अनुसार कुछ योगो का निर्माण होता है इन सिद्ध योगों में की हुई यात्रा सिद्ध होती है ।
शुक्रवार के दिन नंदा तिथि ।
बुधवार के दिन भद्रा तिथि ।
मंगलवार के दिन जया तिथि।
शनिवार के दिन रिक्ता तिथि।
गुरुवार के दिन पूर्णा तिथि। यह सिद्ध योग कहे गए हैं।
इन सिद्ध योगो मे यात्रा शुभ फल दायी होतीं है।
शनिवार ,मंगलवार को रिक्ता तिथि हो तो सर्वसाम्राजय देने वाली तिथि होती है।
वार तिथिनूसार अशुभ योग:-
रविवार तथा मंगलवार के दिन नंदा तिथि।
शुक्रवार तथा सोमवार के दिन भद्रा तिथि।
बुधवार के दिन जया तिथि।
बृहस्पतिवार के दिन रिक्ता तिथि।
शनिवार के दिन पूर्णा तिथि हो तो यह मृत्यु योग बनते हैं इन योगों में यात्रा निषेध होती है। तथा अन्य शुभ कार्य भी वर्जित होते हैं। इनको इन योगों में कार्य करने से मृत्यु तुल्य कष्ट की प्राप्ति होती हैं।
वार नक्षत्रा नूसार शुभ तथा सिद्ध योग।
रविवार के दिन हस्त, मूल, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा ,उत्तराभाद्रपद, पुष्य तथा अश्विनी नक्षत्र।
सोमवार के दिन श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य तथा अनुराधा नक्षत्र।
मंगलवार के दिन अश्वनी, आश्लेषा, उत्तराभाद्रपद, कृत्तिका नक्षत्र।
बुधवार के दिन रोहिणी, अनुराधा, हस्त ,कृत्तिका तथा मृगशिरा नक्षत्र।
बृहस्पतिवार के दिन रेवती ,अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु तथा पुष्य नक्षत्र।
शुक्रवार के दिन रेवती, अनुराधा,अश्विनी पुनर्वसु तथा श्रवण नक्षत्र।
शनिवार के दिन श्रवण ,रोहिणी, तथा स्वाति नक्षत्र ।
इन वारों मे इन नक्षत्रों से स्वार्थ सिद्धि योग बनते है ये योग यात्रा तथा सभी कर्मो मे शुभ फल दायी होते है।
रविवार के दिन अनुराधा नक्षत्र ।
सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ।
मंगलवार के दिन शतभिषा नक्षत्र ।
बुधवार के दिन अश्वनी नक्षत्र।
बृहस्पतिवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र।
शुक्रवार के दिन सर्वदेव।
शनिवार के दिन हस्त नक्षत्र मृत्यु योग का निर्माण करते है। यात्रा निषेध है। मृत्यु तुल्य कष्टकारी होता है।