नाव बनाने तथा पानी में उतारने के मुहूर्त का प्रयोजन है नाव का निर्माण तथा नई नांव को पानी में उतारने के लिए नक्षत्रों से जुड़े मुहूर्तों का प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आया है। इसके लिए समय का चुनाव नक्षत्रों के अनुसार चयनित किया गया है।जिस क्षेत्र में यातायात के साधनों में शामिल है वहीं इसका महत्व है।
चंद्रमा विचार :- स्वयं कि राशि से चंद्रमा चौथा छठा आठवां बारहवां नहीं होना चाहिए।
शुभ नक्षत्र :- अश्विनी,मृगशिरा,पुनर्वसु,पुष्य, आश्लेषा, हस्त,चित्रा, अनुराधा, धनिष्टा, शतभिषा, रेवती।
तिथि विचार :- चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी तिथि होलाष्ठ, श्राद्ध निषेध है।
वार विचार :-सोमवार बुधवार बृहस्पतिवार शुक्रवार रविवार।
नोका बनाते समय गुरू,शुक्र अस्त नही होने चाहिए।
नोका मे माल ढोते समय चर लग्न शुभ रहता है। लग्नेश बलवान होना चाहिए।
नौका नक्षत्र चक्र ।
- तृतीय, षष्ठ, एकादश इन स्थानों में सुर्य,चंद्र, मंगल,शनि शुभ फलदायी होता है।
- यह विधि नाव का चित्र बनाकर उस पर बताएं गए तरीके से नक्षत्रों को लिखे।
- सूर्य संक्रांति दिन नक्षत्र से वर्तमान दिन नक्षत्र लिखने का क्रम:-
- ऊपर भाग पर छः नक्षत्र,
- हृदय पर तीन नक्षत्र,
- तीन नक्षत्र पीठ पर ,
- एक नक्षत्र पार्श्व में ,
- दो नक्षत्र शुक्राणु में,
- तीन नक्षत्र नोका के मध्य जगह में ,
- छः नक्षत्र नीचले हिस्से मे,
- तिन पांव पर।
- ऊपर और मध्य के नक्षत्र शुभ तथा अन्य स्थानों के अशुभ फलदायी हैं।
इस मुहूर्त से संबंधित सभी जानकारियां यहां पर दी गई है इसके अलावा अगर आप मुहूर्त दिखवाना चाहते है तो नीचे दिए गए फार्म भरे। यह सुविधा सशुल्क हैं।
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