अंक शास्त्र परिचय।
जब मनुष्य की चेतना में ग्रहों ,नक्षत्र, सूर्य उल्का पिंड तथा बदलते समय के अनुसार मौसम को अनुभव किया तब…
जब मनुष्य की चेतना में ग्रहों ,नक्षत्र, सूर्य उल्का पिंड तथा बदलते समय के अनुसार मौसम को अनुभव किया तब…
हमारे ऋषि मुनियों ने समय कि गति को पहचान करके पल, घटी, होरा तथा समय की अन्य इकाइयों का निर्माण…
सबसे पहले रुद्राक्ष शब्द का शाब्दिक अर्थ समझते हैं। रुद्रा+अक्ष। रुद्र का अर्थ शिव ही है। यह शिव का ही…
शनि देव का पिंड स्वरूप:- ज्योतिषीय महत्व:- ज्योतिष में शनिग्रह को न्याय का कारक माना गया है। जिस व्यक्ति के…
ज्योतिषीय स्वरूप:- ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को भौतिक सुखों तथा ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया है। शरीर में सप्तधातुओं का…
ज्योतिषीय स्वरूप:- जीवन में आपसी रिश्ते, गुरुजन, अर्थात आदरणीय ,बड़े भाई बहन तथा जिनसे ज्ञान की प्राप्ति हो उस गुरु…
यह पोस्ट बुध ग्रह के बारे में कि गयी है।इस पोस्ट में बुध ग्रह कि भूगोलीय पहचान तथा पौराणिक परिचय…
मंगल का ज्योतिषीय महत्व :- सहकर्मी तथा हम उम्र के मित्र तथा भाइयों का कारक है। यह साहस का प्रतीक…
सूर्य से पृथ्वी के बीच की दूरी 1,49,600000 km या 92960000 मील है।सूर्य का व्यास 1390000 किलोमीटर है। सूर्य सेपृथ्वी…
गर्भ में एक महीने तक निर्माण क्रिया शुक्र ग्रह से संबंधित होती है। रूप आकृति निर्माण। कोखं में निषेचन होने…