मेरा ध्येय आपकी समस्याओं का समाधान करना तथा आपकी छुप्पी विशेषताओं से आपकी पहचान करवाना हैं। व्यक्ति विशेष कि संमस्या उन्हि के कर्म निर्णयों से जुड़ी होती है। प्राणी मात्र को यह जीवन अपने पुर्व जन्मं (प्रारब्ध) के अनुसार मिलता है । उसे बदला या कम ज्यादा नही किया जा सकता। यह प्रसाद तो सभी खाना हि पङता है। इस संसार में किसी व्यक्ति का भाग्य बदला नहीं जा सकता।
आपका भाग्य आपके इस जन्म के कर्मों तथा पूर्व जन्म (प्रारब्ध) के कर्मों से प्रभावित होता है। इसी जन्म में हमें प्रारब्ध के साथ साथ पुरुषार्थ की प्राप्ति भी होती है। आपके व्यक्तित्व को भी एक विशेष पहचान दि गई है। ताकि आप इस जीवन के साथ साथ पिछले जंन्मो के दोंषो( प्रारब्ध )का भी ऋण चुका सके। क्यो कि बिना ऋण चुकाय आप यहां से (जन्मं -मरण के चक्र ) मुक्त नहीं हो सकते यही भटकते रहते हैं। अगर आप अपनी प्रकृति के अनुसार अपने पुरुषार्थ को पहचान कर अपने कर्मों को सुनिश्चित करते हैं तो आप जीवन चक्र की यात्रा में विजय प्राप्त करते हैं और ऋण मुक्त हो सकते हैं। आपके अंदर भी कुछ विशेषताएं छुपी रहती हैं।
मैं उन विशेषताएं से आपको परिचित करवाने का काम करता हुं। आप उन विशेषताएं को पहचान कर आप अपनी क्षमताएं बढ़ाकर पुरुषार्थ सिद्ध कर पाते हैं मेरा विषय आप की कमियों को आप से अवगत कराना होता है। मैं आपकी क्षमता बढ़ाने का काम करता हूं। जैसी भी स्थिति है अब आपकी उसके लिए सिर्फ आप हि जिम्मेवार हैं। ऐसी स्थिति के लिए सिर्फ आप ही के द्वारा लिए गए निर्णयो पर काम हुआ है। मेरा काम सिर्फ आपके कर्मों की पहचान करवानी होती है।
कर्म-दंड को सिर्फ सत्कर्मों से कम किया जा सकता है। मैं आपके कर्मों को बदलने पर काम करता हूं । जिससे आप की क्षमता बढ़ सके। “संसार में कोई भी किसी का भाग्य नहीं बदल सकता लेकिन कर्म बदले जाएं तब भाग्य अपने आप बदल जाते है।” मान लीजिए आपकी क्षमता ३०% है और आपके दुख कि क्षमता ७०% है ।
अगर आप अपनी क्षमता को बढा कर ७०% करलें तो यह अनुपात की संख्या बदल जायगी। ओर आपकी क्षमता आपके दुखो से बङी हो जायगी । आपके सामने आपके दुख छोटे हो जायेगें। यह सत्य है कि कर्म बदले जाए तो भाग्य अपने आप बदल जाता है । जिससे आपका जीवन सतर बढ़ सके। जीवन मे कर्मों कि पहचान होनी परमावश्यक है। जिनको अपने कर्मोँ की पहचान हो जाती है वह व्यक्ति अपने भाग्य को पहचान कर अपने कर्म बदल लेते हैं। मै अपने धेय्य पर वचनबद्ध हूं। आपकी प्रगति निरंतर होती रहें यही मेरी कामनां हैं। जय सिया राम।